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‘राजस्थान डायरी‘ की श्रृृखला में ‘राजस्थान के पारंपरिक व्यंजन‘ विषय पर वर्चुअल चर्चाजयपुर, 24 अक्टूबर। राजस्थान की संस्कृति दुनिया भर में मशहूर है। राजस्थान की संस्कृति में विभिन्न समुदायों और शासकों का योगदान है। आज भी जब कभी राजस्थान का नाम लिया जाए तो हमारी आखों के आगे थार रेगिस्तान, ऊंट की सवारी, घूमर और कालबेलिया नृत्य और रंग-बिरंगे पारंपरिक परिधान आते हैं। राज्य को अपने सभ्य स्वभाव और शालीन मेहमाननवाज़ी के लिए भी जाना जाता है । स्वदेशी हो या विदेशी पर्यटक, यहां की संस्कृति व विभिन्न व्यंजन उनका मन मोह लेते है।राजस्थान पर्यटन ने सभी पर्यटकों एवं यात्रा उत्साही लोगों के लिए ‘‘राजस्थान डायरी‘‘ श्रृंखला के क्रम में रविवार कोे ‘राजस्थान के पारंपरिक व्यंजन‘ विषय पर वर्चुअल चर्चा का आयोजन किया गया। जिसमें आईएचएम जयपुर के प्रिंसिपल श्री प्रियदर्शन लखावत ने अपने अनुभव साझा किये।पर्यटन विभाग की उप निदेशक सुश्री शिखा सक्सेना ने विषय का परिचय देते हुए बताया कि राजस्थान की पाक कला और व्यंजन विश्व भर में प्रसिद्ध हैं। राजस्थान में पर्यटन को बढ़ाने में व्यंजनों की महत्वपुर्ण भूमिका है। भारतीय और राजस्थान पाक कला की विश्व पर्यटन परिदृृश्य में अपनी अलग पहचान है साथ ही राजस्थानी व्यंजनों ने वैश्विक स्तर पर अपनी जो छवि बना रखी है, वो स्वतः ही पर्यटकों को अपनी और खींच लेती है।आईएचएम जयपुर के प्रिंसिपल श्री प्रियदर्शन लखावत ने बताया कि किस तरह भौगोलिक, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक प्रभावों ने राज्य की पाक व व्यंजन कलाओं पर अपना प्रभाव डाला। इसी प्रकार कुलिनरी टूरिज्म के नए कॉन्सेप्ट के बारे में भी विस्तृत चर्चा की गयी ।श्री लखावत ने विभिन्न कुलिनरी कोर्सेस सहित इनमें भविष्य की सम्भावनाओं के बारे में विस्तृृत जानकरी दी। साथ ही होटल मैनेजमेंट संस्थानों में विभिन्नि कोर्सेस में एडमिशन की निर्धारित प्रक्रिया के बारे में बताया ।उल्लेखीय हे कि कोविड-19 महामारी के कारण पर्यटन उद्योग को राजस्व की हानि उठानी पड़ी है अब जबकि कोविड-19 की स्थिति नियंत्रण में है तथा पर्यटक स्थल फिर से गुलजार हो रहे है, ऐसे में राजस्थान डायरी नामक यह ऑनलाइन श्रृंखला राज्य के पर्यटन उद्योग के लिए आशा की नई किरण बन रही है।
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