क्या नए कार्यवाहक कुलपति पीसी त्रिवेदी पुराने ओम थानवी के फैसले को पलट पाएंगे?

क्या नए कार्यवाहक कुलपति पीसी त्रिवेदी पुराने ओम थानवी के फैसले को पलट पाएंगे?

एमडीएस यूनिवर्सिटी के 80 हजार विद्यार्थियों की समस्या का समाधान करना अब सबसे बड़ी चुनौती।
क्या नए कार्यवाहक कुलपति पीसी त्रिवेदी पुराने ओम थानवी के फैसले को पलट पाएंगे?
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25 अगस्त को प्रोफेसर पीसी त्रिवेदी ने अजमेर स्थित एमडीएस यूनिवर्सिटी के कुलपति पद का अतिरिक्त प्रभार संभाल लिया। प्रो. त्रिवेदी मौजूदा समय में जोधपुर स्थित जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय के कुलपति हैं। राज्य सरकार की सिफारिश पर राज्यपाल कलराज मिश्र ने त्रिवेदी को अजमेर का कार्यवाहक कुलपति नियुक्त किया है। त्रिवेदी के सामने एमडीएस की परीक्षा जल्द और सुचारू करवाने की चुनौती तो है ही साथ ही प्राइवेट कॉलेजों के 80 हजार विद्यार्थियों की समस्या के समाधान की भी चुनौती है। यदि इस समस्या का समाधान नहीं हुआ तो प्राइवेट कॉलेजों में नियमित पढ़ाई करने वाले 80 हजार विद्यार्थी स्वयंपाठी हो जाएंगे। यानी ऐसे विद्यार्थियों को डिग्री और मार्कशीट प्राइवेट (स्वयंपाठी) विद्यार्थी की ही मिलेगी। असल में ओम थानवी ने एमडीएस यूनिवर्सिटी का कार्यवाहक कुलपति रहते हुए यह निर्णय लिया था कि जिन प्राइवेट कॉलेजों में यूनिवर्सिटी की स्वीकृति के बगैर विद्यार्थियों को प्रवेश दिया है, उन कॉलेजों के संचालकों को प्रति विद्यार्थी 15 हजार रुपए का जुर्माना यूनिवर्सिटी में जमा करवाना होगा। यदि कोई संचालक यह जुर्माना जमा नहीं करवाया है तो ऐसे कॉलेज के विद्यार्थियों को स्वयंपाठी विद्यार्थी माना जाएगा। थानवी के इस निर्णय का प्राइवेट कॉलेजों के संचालकों ने भरपूर विरोध किया, लेकिन थानवी अपने निर्णय पर कायम रहे। यहां तक कि थानवी के विरोध में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत तक को ज्ञापन दिए गए।
थानवी का यह निर्णय अभी भी लागू है। किसी भी कॉलेज के संचालक ने जुर्माना राशि जमा नहीं करवाई है। ऐसे विद्यार्थियों की संख्या 80 हजार से ज्यादा है। अब यदि कॉलेज संचालक 15 हजार रुपए की जुर्माना राशि जमा करवाते हैं तो यूनिवर्सिटी को 120 करोड़ रुपए की आय होगी। किसी भी कुलपति के लिए जुर्माने का निर्णय बदलना मुश्किल है। थानवी के कार्यकाल में यह निर्णय यूनिवर्सिटी की एकेडमिक काउंसिल से सर्वसम्मति से स्वीकृत करवाया गया था। आमतौर पर प्राइवेट कॉलेज के संचालक प्रति वर्ष अतिरिक्त विद्यार्थियों को प्रवेश देते हैं। हालांकि यूनिवर्सिटी ने 10 हजार रुपए के जुर्माने का प्रावधान पहले से ही है, लेकिन कॉलेज संचालक किसी न किसी तरह प्रति वर्ष अतिरिक्त विद्यार्थियों को भी नियमित मानकर वार्षिक परीक्षा दिलवा देते हैं। कॉलेज संचालकों का कहना है कि विद्यार्थियों की संख्या बढ़ाने के लिए यूनिवर्सिटी ने आवेदन किया जाता है लेकिन यूनिवर्सिटी समय पर निर्णय नहीं लेती है।
सरकार की मंशा के अनुरूप उच्च शिक्षा में विद्यार्थियों की संख्या बढ़ाने के लिए अतिरिक्त विद्यार्थियों को प्रवेश दे दिया जाता है। जानकारों की मानें तो ओम थानवी को एमडीएस यूनिवर्सिटी से हटाने का एक कारण प्राइवेट कॉलेजों पर जुर्माना लगाना भी है। अब प्रोफेसर पीसी त्रिवेदी जिस जोधपुर स्थित यूनिवर्सिटी से आए हैं, उस यूनिवर्सिटी में भी अतिरिक्त विद्यार्थियों को लेकर प्राइवेट कॉलेजों के संचालकों पर कोई जुर्माना नहीं लगाया है। देखना होगा कि प्रोफेसर त्रिवेदी इस मुद्दों पर अब क्या निर्णय लेते हैं। इस संबंध में संबंधित विद्यार्थियों का तर्क है कि जब उन्होंने कॉलेज में नियमित पढ़ाई कर फीस जमा करवाई है, तब उन्हें स्वयंपाठी विद्यार्थी क्यों माना जा रहा है? विद्यार्थियों का कहना है कि इस मामले में उनकी कोई गलत नहीं है। कॉलेज संचालकों को उम्मीद है कि प्रो. त्रिवेदी ने जो नीति जोधपुर यूनिवर्सिटी में अपनाई है वहीं अब एमडीएस यूनिवर्सिटी में भी अपनाई जाएगी। जब जोधपुर में अतिरिक्त विद्यार्थियों की परीक्षा को लेकर कोई समस्या नहीं है तो फिर एमडीएस में भी नहीं होनी चाहिए।

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