कोटा: पश्चिम-मध्य रेलवे में अचानक हुए प्रशासनिक फेरबदल ने एक बार फिर सवाल खड़े कर दिए हैं। गुरुवार को जारी नए आदेशों के अनुसार, वरिष्ठ मंडल परिचालन प्रबंधक (सीनियर डीओएम) शौरभ जैन को वरिष्ठ मंडल वाणिज्य प्रबंधक (सीनियर डीसीएम) का पदभार सौंपा गया है। वहीं, वरिष्ठ मंडल संरक्षा अधिकारी (सीनियर डीएसओ) विनोद कुमार मीणा को जैन की जगह सीनियर डीओएम बनाया गया है।
क्या है पूरा मामला?
मंगलवार को जारी किए गए पहले आदेश में विनोद कुमार मीणा को कोटा में ही सीनियर डीसीएम नियुक्त किया गया था, जबकि रोहित मालवीय को सीनियर डीओएम बनाया गया था। शौरभ जैन को भोपाल में सीनियर डीएसओ पद पर भेजा गया था।
अधिकारियों की आपत्ति के बाद बदले आदेश
सूत्रों के अनुसार, अधिकारी पहले आदेश से खुश नहीं थे। उनकी आपत्ति के बाद दो दिन के भीतर ही आदेशों में बदलाव कर दिया गया। रोहित मालवीय को भोपाल में सीनियर डीओएम और नरेश कुमार राजपूत को कोटा में सीनियर डीएसओ नियुक्त किया गया।
लगातार हो रहे हैं आदेशों में बदलाव
यह पहली बार नहीं है जब रेलवे प्रशासन ने अपने आदेशों में इतनी जल्दी बदलाव किया हो। पिछले कुछ समय से इस तरह के मामले लगातार सामने आ रहे हैं।
सवाल उठ रहे हैं
रेलवे प्रशासन के इस तरह के फैसलों से कई सवाल उठ रहे हैं। क्या प्रशासन पहले से ही इन नियुक्तियों के बारे में पूरी तरह से सोच-विचार कर लेता है? या फिर इन फैसलों में जल्दबाजी की जाती है?
क्या हैं इस मामले के मायने?
क्या करना चाहिए?
रेलवे प्रशासन को चाहिए कि वह अपने फैसलों को लेकर गंभीर हो और किसी भी फैसले को लेने से पहले पूरी तरह से सोच-विचार करे। साथ ही, अधिकारियों के साथ बेहतर संवाद स्थापित किया जाना चाहिए ताकि उनके मन में कोई असंतोष न रहे।
निष्कर्ष
रेलवे प्रशासन के आदेशों में लगातार बदलाव एक गंभीर मुद्दा है। इस पर जल्द से जल्द ध्यान देने की जरूरत है।
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