कोटा: रेलवे में अब संवेदनशील पदों पर लंबे समय तक कोई कर्मचारी नहीं टिक पाएगा। रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष सतीश कुमार ने इस संबंध में कड़े आदेश जारी किए हैं। इन आदेशों के अनुसार, निर्धारित समय सीमा के बाद संवेदनशील पदों पर कार्यरत कर्मचारियों का तुरंत स्थानांतरण किया जाएगा। इसके साथ ही, हर महीने इस संबंध में विजिलेंस को प्रगति रिपोर्ट भी भेजनी होगी।
यह पहली बार नहीं है जब रेलवे बोर्ड ने इस तरह के आदेश जारी किए हों। इससे पहले भी कई बार ऐसे आदेश जारी किए जा चुके हैं, लेकिन इनका पालन गंभीरता से नहीं किया जाता रहा है।
कोटा मंडल में स्थिति: कोटा मंडल के तत्कालीन डीआरएम पंकज शर्मा ने भी ऐसे आदेशों की अनदेखी की थी। उनके कार्यकाल में कई कर्मचारी 20-20 साल से संवेदनशील पदों पर जमे हुए थे। पंकज शर्मा ने इन कर्मचारियों का स्थानांतरण करने की कोशिश की थी, लेकिन बाद में उन्होंने इन आदेशों को रद्द कर दिया था। दिलचस्प बात यह है कि पंकज शर्मा बाद में खुद सतर्कता अधिकारी बन गए थे, जिसके बाद वे इन कर्मचारियों का स्थानांतरण नहीं करवा पाए थे।
क्या है इसका मतलब: रेलवे बोर्ड के ये नए आदेश संकेत देते हैं कि रेलवे में पारदर्शिता और जवाबदेही लाने की कोशिश की जा रही है। लंबे समय तक एक ही पद पर बने रहने से भ्रष्टाचार और कुप्रबंधन को बढ़ावा मिल सकता है। इसलिए, नियमित स्थानांतरण से इन समस्याओं पर अंकुश लगाने में मदद मिलेगी।
आगे क्या होगा: अब देखना होगा कि रेलवे बोर्ड के ये आदेश कितने प्रभावी होते हैं। क्या इस बार सभी रेलवे मंडल इन आदेशों का पालन करेंगे? या फिर ये आदेश भी पिछले आदेशों की तरह कागजों पर ही सिमट कर रह जाएंगे?
यह मामला रेलवे के कामकाज पर गहरा असर डाल सकता है। अगर इन आदेशों का पालन किया जाता है तो इससे रेलवे में पारदर्शिता और जवाबदेही आएगी और आम जनता को बेहतर सुविधाएं मिलेंगी।
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