स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण के द्वितीय चरण के तहत राज्य के प्रत्येक जिलें में  आगामी 5 वर्षों में गोबरधन परियोजनायें क्रियान्वित की जायेगीं

स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण के द्वितीय चरण के तहत राज्य के प्रत्येक जिलें में  आगामी 5 वर्षों में गोबरधन परियोजनायें क्रियान्वित की जायेगीं

स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण के द्वितीय चरण के तहत राज्य के प्रत्येक जिलें में 
आगामी 5 वर्षों में गोबरधन परियोजनायें क्रियान्वित की जायेगीं
जयपुर, 5 जनवरी। ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव श्री रोहित कुमार सिंह ने बताया कि स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण के द्वितीय चरण के तहत राज्य के प्रत्येक जिलें में आगामी 5 वर्षों में गोबरधन परियोजनायें क्रियान्वित की जायेगीं ।
श्री सिंह ने मंगलवार को गोबरधन परियोजनाओं के क्रियान्वयन हेतु गठित राज्य स्तरीय तकनीकी सलाहकार समिति की बैठक में पैनल में सम्मिलित की जाने वाली 6 फर्मों की क्षमताओं व पूर्व कार्यानुभवों का प्रस्तुतिकरण देखा ।
प्रस्तुतिकरण देखने के बाद श्री सिंह ने बताया कि योजना का क्रियान्वयन स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण,गोपालन एवं बॉयोफ्यूल प्राधिकरण के आपसी सहयोग से कन्वर्जेन्स के माध्यम किया जायेगा।
अतिरिक्त मुख्य सचिव ने बताया कि योजनान्तर्गत प्रत्येक जिले में 50 लाख की लागत से बायोगैस संयत्रों का निर्माण कराया जाएगा।। इन संयत्रों के निर्माण हेतु अनुभवी फर्मों का पैनल बनाया जा रहा है जिससे ये संयत्र अच्छी गुणवत्ता के बने व इनकी लम्बे समय तक उपादेयता बनी रहे।
उन्होंने बताया कि गोबरधन परियोजनाओं के तहत व्यक्तिगत एवं सामुदायिक स्तर पर गांवो/ब्लॉक्स/जिले में बायोगैस संयत्रो का निर्माण किया जा सकता है।
श्री सिंह ने बताया कि गोबरधन परियोजनायें मवेशियों के गोबर और ठोस कृषि कचरे को बायोगैस एवं बायो स्लरी में परिवर्तित करने के लिये ग्राम पंचायतों को प्रोत्साहन देकर बायोडिगे्रडेबल वेस्ट रिकवरी में सहायता देती है ।
उन्हाेंने बताया कि ग्राम पंचायतें कम्पोस्ट एवं वर्मी कम्पोस्ट बनाने जैसी अन्य पहल के साथ अधिकतम डिगे्रडेबल वेस्ट रिकवरी के लिए इन परियोजनाओं को क्रियान्वित कर सकती है ।
श्री सिंह ने बताया कि गोबरधन परियोजनायें ठोस एवं तरल कचरा प्रबन्घन का एक अभिन्न अंग हैं । ये योजनायें ग्रामीणों के जन जीवन में सुधार हेतु मवेशियों के कचरे रसोई के अपशिष्ट, फसल के अवशेष और बाजार के कचरे सहित जैव अपशिष्टों को बायोगैस और बायो-स्लरी में बदलकर गांवों में स्वच्छता सुनिश्चित करती है जो कि किसानों और ग्रामीण परिवारों को आर्थिक लाभ तथा संसाधन उपलब्ध करवाने में उपयोगी है।

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