एसीबी ने की एडीआरएम सहित चार अधिकारियों से पूछताछ, इंजीनियर घूस मामला

एसीबी ने की एडीआरएम सहित चार अधिकारियों से पूछताछ, इंजीनियर घूस मामला

एसीबी ने की एडीआरएम सहित चार अधिकारियों से पूछताछ, इंजीनियर घूस मामला

कोटा। वरिष्ठ मंडल खंड अभियंता (पीडब्ल्यूआई) घनश्याम शर्मा घूस मामले में भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) ने जयपुर के अपर मंडल रेल प्रबंधक (एडीआरएम) मनोज गर्ग सहित चार अधिकारियों से पूछताछ की है। एसीबी ने गर्ग से पिछले हफ्ते ही लगातार दो दिन तक पूछताछ की है। गर्ग के अलावा ऐसीबी ने कोटा के सहायक मंडल इंजीनियर (एईएन) सुनील गर्ग, सवाई माधोपुर के एईएन आलोक वर्मा और गंगापुर के एईएन मलखान सिंह से भी पूछताछ की है।
सूत्रों ने बताया कि पूछताछ में कई अधिकारी एसीबी के सवालों का संतुष्टि पूर्ण उत्तर नहीं दे सके।

उल्लेखनीय है कि ठेकेदार और घनश्याम शर्मा की मोबाइल पर हुई बातचीत की ऑडियो रिकॉर्डिंग और कागजाती सबूत के आधार पर एसीबी ने इन चारों की भूमिका संदिग्ध मानी है। ऑडियो रिकॉर्डिंग में इन अधिकारियों के नाम लेन-देन में कई बार सामने आए हैं। मामले में एसीबी अभी और भी अधिकारी और कर्मचारियों से पूछताछ कर सकती है। पूछताछ पूरी होने पर एसीबी को जल्द ही किसी निष्कर्ष पर पहुंचने की उम्मीद है।

हो सकती है गिरफ्तारी
सूत्रों ने बताया कि जांच में दोषी पाए जाने पर अधिकारियों की गिरफ्तारी भी हो सकती है। कई अधिकारियों के खिलाफ कागजती सबूत हैं जिन्हें झूठलाना अधिकारियों के लिए मुश्किल हो रहा है। इसके चलते अधिकारी परेशानी में हैं।

पहले कोटा में थे मनोज
उल्लेखनीय है कि मनोज गर्ग पहले कोटा में ही वरिष्ठ मंडल अभियंता (समन्वय) पद पर तैनात थे। करीब 8 महीने पहले गर्ग का स्थानांतरण पदोन्नति पर जयपुर हो गया था।
घूस वाले मामले का टेंडर गर्ग ने ही फाइनल किया था। गर्ग के समय ठेकेदार के दो-तीन बिल भी पास हुए थे। ठेकेदार से घनश्याम शर्मा की मोबाइल पर बातचीत की रिकॉर्डिंग में गर्ग का नाम कई सामने आया है। इसके अलावा इस रिकॉर्डिंग में अन्य अधिकारियों और सुपरवाइजर के नाम भी सामने आए हैं। गौरतलब है कि घनश्याम और गर्ग का ससुराल आगरा में एक ही मोहल्ले में है। यही कारण है कि घनश्याम, गर्ग को अपना साडू भाई बताता था।

यह है मामला
उल्लेखनीय है कि 23 मार्च को एसीबी ने घनश्याम शर्मा को उसके घर से ही ठेकेदार के कर्मचारी से 35 हजार की रिश्वत लेते हैं रंगे हाथ गिरफ्तार किया था। घनश्याम ने यह रिश्वत ठेकेदार के सात पिक-अप वैनों के बिल पास करने की एवज में ली थी। उल्लेखनीय है कि मामले में करीब साढे तीन महीने बाद भी घनश्याम की जमानत नहीं हुई है। एसीबी द्वारा 22 मार्च को घनश्याम के खिलाफ कोर्ट में चालान पेश किया गया था।

मामले की जांच चल रही है
अधिकारियों के बयान हुए हैं। अभी मामले की जांच चल रही है। जांच पूरी होने के बाद ही कुछ कहा जा सकता है। – विजय सिंह, पुलिस उपाधीक्षक एसीबी

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