Rail News: कोटा रेलवे मंडल में आयोजित पेंशन अदालत में पेंशनरों की शिकायतों को सुनने में अधिकारियों की उदासीनता देखने को मिली। अपर मंडल रेल प्रबंधक (एडीआरएम) आरआरके सिंह मात्र 15 मिनट ही अदालत में रुके और पेंशनरों की शिकायतें सुने बिना ही चले गए। इससे पेंशनरों में काफी रोष है।
पेंशनरों का कहना है कि पेंशन अदालत में डीआरएम मनीष तिवारी को मौजूद रहना चाहिए था लेकिन उनके अनुपस्थिति में एडीआरएम सिंह दोपहर 12.20 बजे पहुंचे। उन्होंने कुछ औपचारिकताएं निभाकर चार शिकायतों का जिक्र किया और फिर अदालत छोड़ दी। साथ आए अन्य अधिकारी भी उनके साथ चले गए।
पेंशनरों का एक प्रतिनिधिमंडल ज्ञापन देना चाहता था जिसमें उनकी विभिन्न मांगें थीं, लेकिन अधिकारियों ने ज्ञापन लेना तक जरूरी नहीं समझा। पेंशनरों को अपनी शिकायतें छोटे अधिकारियों को बतानी पड़ीं।
मुख्य मुद्दे:
अधिकारियों का पक्ष:
अधिकारियों का कहना है कि उन्होंने पेंशन अदालत में चार पंजीकृत मामलों का निपटारा किया और दस नए मामले लिए हैं। इनका निस्तारण जल्द किया जाएगा।
पेंशनरों की नाराजगी:
पेंशनरों ने इस व्यवहार पर नाराजगी व्यक्त की है। उनका कहना है कि उन्हें उम्मीद थी कि उनकी समस्याओं का समाधान होगा लेकिन ऐसा हुआ नहीं।
निष्कर्ष:
कोटा रेलवे मंडल में आयोजित पेंशन अदालत में पेंशनरों की शिकायतों को अनदेखा किया जाना एक गंभीर मुद्दा है। इससे पेंशनरों में निराशा और हताशा बढ़ सकती है। प्रशासन को इस मामले को गंभीरता से लेते हुए पेंशनरों की समस्याओं का समाधान करना चाहिए।
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