आखिरकार सीबीआई के निशाने पर आए सीनियर डीसीएम विजय प्रकाश, रेलवे ने छीने वित्तीय अधिकार, मचा हड़कंप

आखिरकार सीबीआई के निशाने पर आए सीनियर डीसीएम विजय प्रकाश, रेलवे ने छीने वित्तीय अधिकार, मचा हड़कंप

आखिरकार सीबीआई के निशाने पर आए सीनियर डीसीएम विजय प्रकाश, रेलवे ने छीने वित्तीय अधिकार, मचा हड़कंप
कोटा।  भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरे भोपाल रेल मंडल के वरिष्ठ वाणिज्य प्रबंधक (सीनियर डीसीएम) विजय प्रकाश आखिरकार सीबीआई के निशाने पर आ ही गए। सीबीआई ने विजय का नाम एग्रीड लिस्ट में शामिल किया है। इसकी जानकारी मिलते ही रेलवे ने विजय के वित्तीय अधिकार छीन लिए हैं। इसके चलते विजय अब टेंडर और पैसे लेनदेन संबंधित कोई काम नहीं कर सकेंगे। यह मामला सामने आने की बहुत रेलवे अधिकारियों में हड़कंप मचा हुआ है।
विजिलेंस की थी नजर
सूत्रों ने बताया कि विजिलेंस द्वारा विजय के कामकाज पर लंबे समय से नजर रखी जा रही थी। जांच के दौरान विजिलेंस को वित्तीय अनियमितताओं के कई मामलों में विजय की भूमिका संदिग्ध लगी थी। विजिलेंस ने इसकी जानकारी सीबीआई को भी सांझा की थी। जांच में सीबीआई को भी विजय के पैसे लेनदेन संबंधित कई मामलों में गड़बड़ी की शिकायतें मिली थी।
इसके बाद सीबीआई ने विजय को एग्रीड लिस्ट में शामिल कर लिया। साथ ही रेलवे को भी इसकी जानकारी दी गई। इसके बाद हरकत में आए पश्चिम-मध्य रेलवे के प्रमुख मुख्य वाणिज्य प्रबंधक मुकुल शरण माथुर ने तुरंत प्रभाव से विजय के वित्तीय अधिकारों पर रोक के आदेश जारी कर दिए। उल्लेखनीय है कि एग्रीड लिस्ट में उन अधिकारियों के नाम शामिल किए जाते हैं जिन पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगे हों।
विजय कोटा में चला चुके हैं फर्जी कार पार्किंग
उल्लेखनीय है कि भोपाल से पहले विजय कोटा में ही सीनियर डीसीएम पद पर कार्यरत थे। करीब डेढ़ साल पहले ही विजय का कोटा से भोपाल स्थानांतरण हुआ था। कोटा में रहने के दौरान भी विजय पर भ्रष्टाचार के कई आरोप सामने आए थे। इसके चलते विजय लगातार सुर्खियों में रहे थे।
विजय पर सबसे बड़ा आरोप डीआरएम ऑफिस के ठीक सामने करीब ढाई साल तक लगातार कार पार्किंग को पूरी तरह फर्जी चलाने का था। इससे विजय ने रेलवे को लाखों रुपए का चूना लगाया था।
डीआरएम ने पकड़ा था मामला
इस मामले को अपने निरीक्षण के दौरान डीआरएम पंकज शर्मा ने पकड़ा था। शर्मा ने मौके पर ही तत्कालीन मंडल वाणिज्य निरीक्षक हरिराम को तुरंत प्रभाव से निलंबन के आदेश दिए थे। मामले की मिलीभगत इस बात से भी सामने आती है कि डीआरएम के आदेश के बाद भी विजय ने हरिराम के खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई करना जरूरी नहीं समझा।
चेतावनी देकर छोड़ा
इसके बाद इस मामले की जांच रेलवे बोर्ड विजिलेंस और आरपीएफ ने भी की थी। इस जांच में यह कार पार्किंग पूरी तरह फर्जी चलती पाई गई थी। हालांकि बाद में विजय को चेतावनी देकर छोड़ दिया गया था।
मामले को छुपाने की कोशिश
सूत्रों ने बताया कि विजय को फिलहाल किस मामले में संदिग्ध माना है। इसकी जानकारी नहीं मिल सकी है। लेकिन माना जा रहा है कि यह कोटा से जुड़ा मामला हो सकता है।
रेलवे भी इस पूरे मामले में अनजान बनने की कोशिश कर रही है। इस संबंध में पश्चिम-मध्य रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी राहुल जयपुरिया का कहना है कि उन्हें इस संबंध में कोई जानकारी नहीं है। मामले का पता करना पड़ेगा। हालांकि राहुल द्वारा देर रात तक इस संबंध में कोई जानकारी नहीं दी गई। इससे ऐसा प्रतीत होता है कि रेलवे द्वारा मामले को जानबूझकर छुपाने की कोशिश की जा रही है।

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