एआईआरएफ और एनएफआईआर का प्रभाव घटा, कई जोन पर पकड़ कमजोर

एआईआरएफ और एनएफआईआर का प्रभाव घटा, कई जोन पर पकड़ कमजोर

कोटा। रेलवे कर्मचारी संगठनों के मान्यता चुनाव में ऑल इंडिया रेलवे मेंस फेडरेशन (एआईआरएफ) और नेशनल फेडरेशन ऑफ इंडियन रेलवे मेंस (एनएफआईआर) के प्रदर्शन में गिरावट देखने को मिली है। पिछले चुनाव की तुलना में इस बार दोनों फेडरेशनों ने महत्वपूर्ण जोन और स्थान खो दिए हैं।

एआईआरएफ की गिरावट

पिछले चुनाव में एआईआरएफ ने 17 में से 16 जोनों में जीत हासिल की थी। इसके साथ ही 11 जोनों में उसने पहला स्थान प्राप्त किया था और 5 जोनों में सिंगल पार्टी के रूप में उभरी थी।
हालांकि, इस बार के चुनाव में एआईआरएफ 19 में से केवल 13 जोनों में ही जीत दर्ज कर सकी। इसके अलावा, उसे सिर्फ 7 जोनों में पहला स्थान मिला और 3 जोनों में सिंगल पार्टी की स्थिति में रही।

एनएफआईआर की स्थिति

एनएफआईआर का प्रदर्शन भी पिछले चुनावों के मुकाबले कमजोर हुआ है। पिछले चुनाव में एनएफआईआर ने 12 जोनों में जीत हासिल की थी। इसके साथ ही एक जोन में सिंगल पार्टी और 6 जोनों में पहले स्थान पर रही थी।
इस बार एनएफआईआर केवल 11 जोनों में जीत हासिल कर सकी। हालांकि, इस बार उसे 2 जोनों में सिंगल पार्टी और 7 जोनों में पहला स्थान मिला है।

कमजोर होती पकड़

चुनाव परिणामों से साफ है कि एआईआरएफ और एनएफआईआर की जोन पर पकड़ कमजोर हुई है। रेलवे कर्मचारियों के बीच इन संगठनों के प्रभाव में कमी आई है। जहां पिछले चुनाव में दोनों संगठन व्यापक समर्थन हासिल करने में सफल रहे थे, वहीं इस बार का प्रदर्शन अपेक्षाकृत कमजोर साबित हुआ।

नया समीकरण और चुनौती

एआईआरएफ और एनएफआईआर के कमजोर प्रदर्शन से रेलवे कर्मचारी संगठनों के बीच नई चुनौतियां और समीकरण बनते नजर आ रहे हैं। यह देखना दिलचस्प होगा कि दोनों संगठन आने वाले समय में अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए क्या कदम उठाते हैं।

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