मोर संरक्षण के लिए गठित जिला स्तरीय समिति की बैठक आयोजित
सवाई माधोपुर राष्ट्रीय पक्षी मोर के संरक्षण के लिए गठित जिला स्तरीय समिति की बैठक जिला कलेक्टर राजेन्द्र किशन की अध्यक्षता में कलेक्ट्रेट सभाागार में हुई। बैठक में डीएफओ ने बताया कि मोर वनस्पति एवं खेतो से हानिकारक कीट पतंग एवं सरीसृपों को खाकर मनुष्य के लिए हितकारी है। वर्ततान में मोर का जीवन संकटग्रस्त हो चुका है, इसका कारण फसलों, बीजो में कीटनाशक दवाओं का अत्यधिक प्रयोग एवं कुछ आपराधिक प्रवृत्ति के लोगो द्वारा इसका शिकार किया जाना है।
बैठक में बताया कि इसके बचाव एवं संरक्षण के लिए भारत सरकार द्वारा वन्य जीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 में मोर को अनुसूची प्रथम का पक्षी घोषित किया गया है। इसके अण्डों, पंखों, मांस के व्यापार या अन्य किसी प्रयोजन से हानि पहुँचाने या शिकार किये जाने पर वन्य जीव संरक्षण अधिनियम, 1972 में 3 से 7 वर्ष तक सजा एवं 10,000 रूपये तक जुर्माने का प्रावधान है। जो कि पुनरावृत्ति पर 25000 रूपये तक किया जा सकता है।
कलेक्टर ने नागरिकों से आग्रह किया कि अपने आस-पास मोर के घायल पडे होने या मृत अवस्था में दिखाई देने पर वन/पुलिस चौकी पर पहुंचाए या वन विभाग/पुलिस विभाग को तुरन्त सूचित करें। उन्होंने आस-पास रह रहे शिकारी प्रवृत्ति के लोगांे की सूचना तत्काल पुलिस/वन चौकी पर देने का भी आग्रह किया। बैठक में मोर के संरक्षण के लिए सामूहिक प्रयासों पर जोर दिया गया। बैठक में डीएफओ जयराम पांडे, पुलिस उपाधीक्षक एवं अन्य अधिकारी उपस्थित थे।
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