नए कॉलेज खोलने की हकीकत: साल 2019 और 2020 में 88 कॉलेजों की घोषणा, अब तक सिर्फ 28 को मिली जमीन
सरकारी पेचीदगियों में अटक कर रह जाती है इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार करने की प्लानिंग….
जयपुर।
हाल में सीएम अशोक गहलोत की ओर से पेश किए गए राज्य बजट में नए कॉलेजों को खोलने का अनाउंसमेंट किया गया है। बजट अनाउंसमेंट के बाद कॉलेज का भवन बनाने व स्टॉफ नियुक्त करने में उच्च शिक्षा विभाग काफी देर कर रहा है। साल 2019 और साल 2020 में प्रदेश में 88 नए कॉलेज खोले गए। फरवरी-2020 तक इन कॉलेजों की स्थिति यह है कि 79 कॉलेज अब तक भी टेम्परेरी बिल्डिंग में चल रहे हैं। इसमें से 40 कॉलेज ऐसे है, जिनका एलान साल 2019 में हुआ था।
मतलब, दो साल में भी इन कॉलेजों की बिल्डिंग तक नहीं बन पाई। इन 40 कॉलेजों में से भी करीब 22 से 23 कॉलेजों को ही भवन निर्माण के लिए जमीन अलाॅट हुई है। एक्सपर्ट के अनुसार कॉलेज के इंफ्रास्ट्रक्चर का काम कम से कम एक साल में पूरा हो जाना चाहिए।
सरकारी औपचारिकताओं और टेंडर में देरी की वजह से भले ही इंफ्रास्ट्रक्चर के काम में देरी हो, लेकिन कम से कम जमीन आवंटित समय पर हो जानी चाहिए। वो भी नहीं हो रही। साल 2020 में खोले गए नए कॉलेजों में से पांच को ही जमीन आवंटित हुई है। नौ कॉलेज राज्याधीन है, जो कि स्वयं की बिल्डिंग में चल रहे हैं। वहीं कॉलेजों के लिए आवंटित किए गए बजट का भी पूरा उपयोग नहीं किया जा रहा है।
37 कॉलेजों में स्टाफ के लिए वित्तीय प्रावधान नहीं
विधानसभा में पेश किए दस्तावेजों में बताया गया है कि साल 2020-21 में प्रारंभ किए गए 37 सरकारी कॉलेजों में नए पदों को सृजित नहीं किए जाने के कारण वित्त विभाग की ओर से इसके लिए वित्तीय प्रावधान ही नहीं किया। मतलब, ये ऐसे कॉलेज हैं, जो डेप्युटेशन पर लगे शिक्षकों के भरोसे ही चल रहे हैं। पहले ही कॉलेजों में शिक्षकों की कमी है। इसके बाद भी नए कॉलेजों में शिक्षक नहीं नियुक्त कर रही।
विश्वविद्यालयों को मिलती है यूजीसी व रुसा की मदद
विवि को इंफ्रास्ट्रक्चर व एकेडमिक डेवलपमेंट के लिए यूजीसी व रुसा जैसी एजेंसियों से मदद मिल जाती है। हालांकि रुसा के तहत कॉलेजों को भी फंडिंग दी जाती है, लेकिन पुराने कॉलेज ही फंडिंग की पात्रता हासिल कर पाते हैं। उन कॉलेजों में छात्र संख्या अधिक होती है। वहीं इंफ्रास्ट्रक्चर के लिहाज से वहां काफी काम हो चुका होता है।
कॉलेजों को रहती है राज्य सरकार से उम्मीद
कॉलेजों को वित्तीय प्रावधान की उम्मीद केवल राज्य सरकार से ही रहती है। विश्वविद्यालयों की बात करें तो स्वायत्ता मिली होती है। वे खुद अपनी इनकम जनरेट करके खर्चा कर सकते हैं। लेकिन कॉलेजों को पास इस प्रकार की स्वतंत्रता नहीं रहती है।
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