धर्म और उससे जुड़े मूल्य कभी अप्रासंगिक नहीं हो सकते   – राज्यपाल

धर्म और उससे जुड़े मूल्य कभी अप्रासंगिक नहीं हो सकते   – राज्यपाल

’21 वीं सदी के विश्व में धार्मिक मूल्य’ विषयक ऑनलाइन अन्तर्राष्ट्रीय संगोष्ठी आयोजित
धर्म, नैतिकता से जुड़ा व्यापक अर्थ वाला शब्द
धर्म और उससे जुड़े मूल्य कभी अप्रासंगिक नहीं हो सकते  
– राज्यपाल
जयपुर, 13 मार्च। राज्यपाल श्री कलराज मिश्र ने कहा है कि धर्म का सम्बन्ध केवल मंदिर, मस्जिद से नहलृ है। उपासना, व्यक्तिगत धर्म का एक अंग हो सकती है, किन्तु धर्म व्यापक शब्द है। जिन नियमों से, व्यवस्था से और जिस आदर्श आचार संहिता से सृष्टि निरन्तर चलती है, वही धर्म है। उन्होंने विश्वभर के धर्मों की चर्चा करते हुए कहा कि कोई भी धर्म भाषा, मजहब, क्षेत्र के आधार पर भेद नहीं सिखाता। धर्म का अर्थ ही मानवता है।
श्री मिश्र शनिवार को राजभवन में ब्राह्मण महासंघ कनाडा द्वारा राजपूत एसोसिएशन ऑफ नॉर्थ अमेरिका और राजस्थान एसोसिएशन ऑफ नॉर्थ अमेरिका के सहयोग से आयोजित ’21 वीं सदी के विश्व में धार्मिक मूल्य’ विषयक ऑनलाइन अन्तर्राष्ट्रीय संगोष्ठी में संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि धर्म और उससे जुड़े मूल्य कभी भी अप्रासंगिक नहीं हो सकते क्योंकि इनमें जीवन से जुड़ी नैतिकता का समावेश होता है। उन्होंने कहा कि मुनष्य की बेहतरी के लिए जो भी मानवीय कर्म किया जाए, वही धर्म है। धर्म सार्वभौम है, इसलिए वह कभी जड़ नहीं हो सकता। उन्होंने कहा कि 21 वीं सदी में भी धार्मिक मूल्यों की जरूरत इसलिए है कि धर्म ही जीवन को उत्कृष्टता की राह पर ले जाने के लिए प्रेरित करता है।
श्री मिश्र ने कहा कि भारतीय संस्कृति में तप और त्याग की भावना की प्रेरणा धार्मिक मूल्यों से ही रही है। उन्होंने ’रामचरितमानस’ की चर्चा करते हुए कहा कि  तुलसीदास जी ने इसमें राम के बहाने जीवन से जुड़े धार्मिक मूल्यों की ही व्याख्या की है। उन्होंने भारतीय संस्कृति को नैतिक मूल्यों से जुड़ा बताते हुए कहा कि यहां उपासना पद्धति और धर्म में भेद है। उपासना पद्धति धर्म का अंग हो सकती है, धर्म नहीं हो सकता। इसलिए धर्म को व्यापक अर्थों में देखे जाने की जरूरत है।
इससे पहले राज्यपाल ने अन्तर्राष्ट्रीय संगोष्ठी में ऑनलाइन उपस्थित प्रतिभागियों के समक्ष भारतीय संविधान की उद्देशिका और मूल कर्तव्यों का वाचन किया।
इस अवसर पर विश्व ब्राह्मण महासंघ की अध्यक्ष डॉ. साधना जोशी, राजपूत एसोसिएशन ऑफ नॉर्थ अमेरिका के महासचिव श्री भरत सिंह चावड़ा, राजस्थान एसोसिएशन ऑफ नॉर्थ अमेरिका के अध्यक्ष श्री क्रिस सुराणा, संस्कारी वीणा फाउंडेशन कनाडा के अध्यक्ष श्री नवनीत कौशल, ईशा वैदिक संस्थान अध्यक्ष डॉ. ओम शर्मा, विश्व ब्राह्मण महासंघ कनाडा के डॉ. आजाद कौशिक आदि ने भी धार्मिक मूल्यों की वर्तमान संदर्भ में उपयोगिता पर विचार रखे।

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