जयपुर: राजधानी जयपुर के सवाई मानसिंह (SMS) अस्पताल के ट्रॉमा सेंटर के न्यूरो आईसीयू में रविवार देर रात लगी भीषण आग ने 8 मरीजों की जान ले ली, जिनमें 3 महिलाएं शामिल हैं। इस दर्दनाक हादसे ने राज्य के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल की सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। प्रारंभिक जांच में आग का कारण शॉर्ट सर्किट बताया जा रहा है, जो आईसीयू के स्टोर रूम से फैला, जहाँ पेपर, चिकित्सा उपकरण और ब्लड सैंपल ट्यूब रखे थे।
हादसे के बाद मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने जाँच के आदेश दिए हैं और एक 6 सदस्यीय समिति गठित की है। वहीं, विपक्ष ने सरकार पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए दोषियों पर कड़ी कार्रवाई और उचित मुआवजे की मांग की है। एफएसएल टीम ने मौके से सबूत जुटाए हैं, लेकिन अब सारा ध्यान इस बात पर है कि इस त्रासदी के लिए जवाबदेह कौन है।
इस भीषण अग्निकांड ने अस्पताल प्रशासन और सरकार की कार्यशैली पर निम्नलिखित 10 सवाल खड़े कर दिए हैं:
सुरक्षा मानकों की अनदेखी क्यों? राज्य के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल के ट्रॉमा आईसीयू में आग बुझाने के लिए फायर एक्सटिंग्विशर, पानी की व्यवस्था या ऑक्सीजन सिलेंडर कंट्रोल सिस्टम जैसे बुनियादी सुरक्षा उपकरण क्यों नहीं थे?
स्टाफ की लापरवाही पर कार्रवाई कब? मरीजों के परिजनों के अनुसार, आग लगते ही डॉक्टर और स्टाफ भाग गए, केवल 4-5 मरीजों को बचाया जा सका। इस गंभीर आरोप की जाँच रिपोर्ट कब जारी होगी और दोषी स्टाफ पर क्या सजा मिलेगी?
शॉर्ट सर्किट की चेतावनी क्यों नजरअंदाज? आईसीयू के स्टोर रूम में कागज, मेडिकल उपकरण और ब्लड बैग्स इकट्ठा करने की अनुमति क्यों दी गई, जबकि शॉर्ट सर्किट का जोखिम साफ दिख रहा था? पूर्व चेतावनियों पर कार्रवाई क्यों नहीं हुई?
फायरफाइटिंग सिस्टम कहाँ गायब? परिजनों ने बताया कि आग लगने पर उन्हें कोई सुविधा नहीं मिली। 24 घंटे क्रिटिकल मरीज भर्ती रहने वाले ट्रॉमा सेंटर में फायरफाइटिंग सिस्टम की कमी क्यों बनी रही?
एवाक्यूएशन प्रोटोकॉल की विफलता? आग के बाद मरीजों की मौत दम घुटने से हुई, क्या 11 मरीजों वाले आईसीयू के गेट बंद थे या खुले? स्टाफ को एवाक्यूएशन प्रोटोकॉल की ट्रेनिंग आखिरी बार कब दी गई थी?
8 मौतों के बाद जिम्मेदारी कौन लेगा? मुख्यमंत्री ने जांच के आदेश दिए, लेकिन चिकित्सा मंत्री गजेन्द्र सिंह खींवसर ने इस घटना पर चुप्पी क्यों साध रखी है? क्या यह विभागीय लापरवाही को छिपाने की कोशिश है?
पिछली घटनाओं से सबक क्यों नहीं? राजस्थान के सरकारी अस्पतालों में पहले भी आग लगने की घटनाएँ हो चुकी हैं, फिर भी व्यापक फायर सेफ्टी ऑडिट क्यों नहीं कराया गया? चिकित्सा विभाग का बजट कहाँ खर्च हो रहा है?
पीड़ित परिवारों को न्याय कब? मृतकों के परिजन सिट-इन प्रोटेस्ट कर रहे हैं। सरकार ने अभी तक मुआवजे और मेडिकल मदद की घोषणा क्यों नहीं की है? क्या सरकार इन मौतों को केवल 'दुर्भाग्य' कहकर टाल देगी?
जाँच कमिटी में पारदर्शिता कहाँ? अग्निकांड पर गठित कमिटी में विपक्ष के नेताओं या विशेषज्ञों को शामिल क्यों नहीं किया गया? क्या यह रिपोर्ट को कमजोर करने का प्रयास है? न्यायिक जाँच क्यों नहीं कराई जा रही है?
भविष्य की रोकथाम का ठोस प्लान क्या? पीएम मोदी ने शोक व्यक्त किया, लेकिन राज्य सरकार पूरे सिस्टम में फायर सेफ्टी सुधार का ठोस प्लान कब पेश करेगी? क्या चिकित्सा मंत्री इस विफलता की नैतिक जिम्मेदारी लेंगे?
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