पीएम फसल बीमा योजना में किसानों के साथ बड़ा धोखा: ठग उठा रहे हैं मोटा क्लेम, पुलिस भी मौन!

पीएम फसल बीमा योजना में किसानों के साथ बड़ा धोखा: ठग उठा रहे हैं मोटा क्लेम, पुलिस भी मौन!

बीकानेर, राजस्थान: प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY), जो किसानों को प्राकृतिक आपदाओं से होने वाले फसल नुकसान से बचाने के लिए शुरू की गई थी, अब बदमाशों के लिए मोटी कमाई का जरिया बन गई है। जिले भर में ऐसे ठगों का एक संगठित गिरोह सक्रिय हो गया है, जो भोले-भाले किसानों की जानकारी के बिना उनकी जमीन का बीमा करवाकर फर्जी तरीके से करोड़ों रुपये का क्लेम उठा रहे हैं। आश्चर्यजनक बात यह है कि पुलिस के पास शिकायतें पहुंचने के बावजूद कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो रही है, जिससे बदमाशों के हौसले बुलंद हैं।

कैसे हो रहा है यह फर्जीवाड़ा?

सूत्रों के अनुसार, जिले की हर तहसील में 8-10 ऐसे शातिर ठग तैयार हो गए हैं। ये ठग गैर-ऋणी किसानों को अपना निशाना बनाते हैं, जिन्होंने पहले कभी बीमा नहीं करवाया है। वे ऑनलाइन माध्यम से ऐसे किसानों की जानकारी निकालते हैं और फिर संबंधित खसरा नंबरों के लिए बंटाईदार का झूठा शपथ पत्र तैयार करवाते हैं। इसी के आधार पर वे किसानों की जानकारी के बिना उनकी जमीन का बीमा करवा लेते हैं। सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि बीमा करवाते समय वे अपना या अपने रिश्तेदारों का फोन नंबर और बैंक अकाउंट नंबर भरते हैं, ताकि क्लेम की राशि सीधे उनके खातों में जा सके।

इस फर्जीवाड़े में बैंककर्मी, सहकारी समितियों के व्यवस्थापक, ई-मित्र संचालक, राजस्व कर्मचारी और बीमा कंपनी के सर्वेयर से लेकर कुछ अधिकारी तक शामिल हैं, जिनकी मिलीभगत से यह खेल खेला जा रहा है। वे बीमा कंपनी और राजस्व विभाग के लोगों के साथ साठगांठ करके फर्जी क्लेम को आसानी से पास करवा लेते हैं।

किसानों को लग रहा है दोहरा झटका

इस धोखाधड़ी से न केवल बीमा कंपनियों को भारी नुकसान हो रहा है, बल्कि उन किसानों को भी बड़ा नुकसान उठाना पड़ रहा है जिनकी फसलों को वास्तव में नुकसान हुआ है। जब उनके खेतों का फर्जी बीमा पहले से ही हो चुका होता है, तो उन्हें वास्तविक नुकसान के बावजूद क्लेम नहीं मिल पाता और उन्हें लंबी कानूनी लड़ाई लड़नी पड़ती है।

सामने आ रहे हैं ठगी के मामले

जलनियासर निवासी पुखराज भोबिया ने बताया कि उनके रिश्तेदार चेतनराम के नाम से खसरा नंबर 264 का फर्जी फसल बीमा करवाकर कुछ लोगों ने वर्ष 2022 में ही क्लेम उठा लिया था, जिसकी जानकारी उन्हें अब मिली है। वे इस संबंध में थाने में रिपोर्ट दर्ज करवाने की तैयारी कर रहे हैं। इसी तरह, खडक़ाली के रूपाराम कस्वां ने भी बताया कि उनके गांव में भी ऐसे कई मामले सामने आ रहे हैं। ऐसे सैकड़ों भोले-भाले किसानों के साथ रोजाना ठगी हो रही है।

पुलिस की निष्क्रियता बढ़ा रही है हौसले

पड़ताल में सामने आया है कि जब फर्जीवाड़ा उजागर होता है, तो ये शातिर ठग संबंधित किसानों को प्रलोभन देकर या रिश्तेदारों से दबाव डलवाकर मामले को रफा-दफा करने का प्रयास करते हैं। पिछले वर्षों में कुछ किसानों ने श्रीबालाजी और सुरपालिया थानों में मामले भी दर्ज करवाए, लेकिन पुलिस ने कोई ठोस कार्रवाई नहीं की, जिसके चलते बदमाशों के हौसले लगातार बुलंद हो रहे हैं।

खरीफ 2025: अंतिम तिथि 31 जुलाई

गौरतलब है कि इन दिनों खरीफ 2025 की फसलों के बीमा हो रहे हैं, जिसकी अंतिम तिथि 31 जुलाई है। ऋणी किसानों के बीमा बैंक स्तर पर हो रहे हैं, लेकिन गैर-ऋणी व बंटाईदार किसान अपने स्तर पर बीमा करवा सकते हैं। बदमाश इसी का फायदा उठाकर फर्जीवाड़े को अंजाम दे रहे हैं।

जिम्मेदारों का बयान

अक्षय तिवाड़ी, जिला कोऑर्डिनेटर, एग्रीकल्चर इंश्योरेंस कंपनी ऑफ इंडिया लिमिटेड ने कहा, "कोई भी व्यक्ति किसी भी किसान की सहमति के बिना उसके खेत का फसल बीमा नहीं करवा सकता। यदि कोई ऐसा कर रहा है तो उसकी शिकायत मिलने पर नियमानुसार कार्रवाई करेंगे।"

जिला प्रशासन के अधिकारियों ने भी बयान दिया है कि यदि कोई व्यवस्थापक या बैंक कर्मचारी गलत तरीके से किसानों को बिना बताए बीमा करता है और जांच में दोषी पाया जाता है तो उसके खिलाफ कार्रवाई होगी। उन्होंने किसानों से भी ऐसे लोगों के खिलाफ थाने में रिपोर्ट दर्ज करवाने की अपील की है।

यह आवश्यक है कि सरकार और पुलिस इस गंभीर धोखाधड़ी पर तुरंत संज्ञान लें और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करें ताकि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का लाभ सही मायने में जरूरतमंद किसानों तक पहुंच सके।

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