रेलवे ट्रैकमैन के लिए बड़ी राहत: रक्षक डिवाइस से दुर्घटनाओं में कमी आएगी

रेलवे ट्रैकमैन के लिए बड़ी राहत: रक्षक डिवाइस से दुर्घटनाओं में कमी आएगी

कोटा: रेलवे ने ट्रैकमैनों की सुरक्षा के लिए एक बड़ा कदम उठाया है। अब ट्रैकमैन को एक नई डिवाइस 'रक्षक' दी जाएगी, जिससे ट्रेन की चपेट में आने के खतरे को काफी हद तक कम किया जा सकेगा। इस डिवाइस का परीक्षण सफल होने के बाद कोटा मंडल में इसका इस्तेमाल शुरू कर दिया गया है।

रक्षक डिवाइस क्या है?

रक्षक डिवाइस एक तरह का वॉकी-टॉकी है जो ट्रैकमैन को दो किलोमीटर दूर से आती हुई ट्रेन के बारे में अलर्ट करता है। इस डिवाइस में एक ट्रांसमीटर और एक रिसीवर होता है। ट्रांसमीटर को स्टेशन पर लगाया जाता है और रिसीवर को ट्रैकमैन को दिया जाता है। जब कोई ट्रेन स्टेशन की ओर आती है तो ट्रांसमीटर से सिग्नल निकलता है जो रिसीवर तक पहुंचता है। रिसीवर में एक अलार्म बजता है जिससे ट्रैकमैन को खतरे का पता चल जाता है।

क्यों जरूरी है रक्षक डिवाइस?

रेलवे ट्रैकमैन अक्सर खतरनाक परिस्थितियों में काम करते हैं। उन्हें अक्सर रात के समय या खराब मौसम में काम करना पड़ता है। ऐसे में ट्रेन की चपेट में आने का खतरा हमेशा बना रहता है। रक्षक डिवाइस इस खतरे को कम करने में मदद करेगा।

क्या हैं इस डिवाइस के फायदे?

  • सुरक्षा: यह डिवाइस ट्रैकमैन को ट्रेन की चपेट में आने से बचाएगा।
  • दक्षता: ट्रैकमैन बिना किसी डर के अपना काम कर सकेंगे।
  • उत्पादकता: इससे रेलवे की कार्यकुशलता में सुधार होगा।

कर्मचारी संघों की मांग पूरी हुई:

रेलवे कर्मचारी ट्रेकमैन एसोसिएशन लंबे समय से इस डिवाइस की मांग कर रहा था। एसोसिएशन का मानना था कि यह डिवाइस ट्रैकमैन की सुरक्षा के लिए बहुत जरूरी है।

आगे का रास्ता:

रेलवे प्रशासन का लक्ष्य है कि जल्द ही सभी ट्रैकमैनों को रक्षक डिवाइस उपलब्ध कराया जाए। इससे रेलवे में होने वाली दुर्घटनाओं में कमी आएगी और रेलवे कर्मचारियों की सुरक्षा सुनिश्चित होगी।

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