9 महीने निलंबन के बाद भी आरोप तय नहीं: कोटा रेलवे में लेटलतीफी का मामला

9 महीने निलंबन के बाद भी आरोप तय नहीं: कोटा रेलवे में लेटलतीफी का मामला

कोटा। कोटा रेल मंडल में विभागीय पदोन्नति परीक्षा में कथित गड़बड़ी का मामला डेढ़ साल बाद भी अधर में लटका हुआ है। इस मामले में निलंबित किए गए मुख्य कल्याण निरीक्षक (डब्ल्यूएलआई) और कार्यालय अधीक्षक (ओएस) पर 9 महीने के निलंबन के बाद भी आरोप तय नहीं हो पाए हैं। इस दौरान, आरोपी डब्ल्यूएलआई ने तो अधिकारी पदोन्नति परीक्षा भी पास कर ली है, जिससे रेलवे प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल उठ रहे हैं।

क्या है पूरा मामला?

यह मामला पिछले साल फरवरी का है, जब इंजीनियरिंग विभाग की पदोन्नति परीक्षा में कई कर्मचारियों ने गड़बड़ी के आरोप लगाए थे। आरोपों के बाद, प्रशासन ने परीक्षा के लिए जिम्मेदार एक डब्ल्यूएलआई और एक ओएस को निलंबित कर दिया था। इनका निलंबन करीब 9 महीने तक चला, जिसके बाद अक्टूबर में दोनों को वापस ड्यूटी पर ले लिया गया।

हालांकि, डेढ़ साल बीत जाने के बाद भी प्रशासन इन दोनों के खिलाफ आरोप तय नहीं कर सका है। कर्मचारियों ने इस मामले की शिकायत जबलपुर मुख्यालय से लेकर रेलवे बोर्ड तक की थी, लेकिन परिणाम शून्य रहा।

निलंबन के बाद, डब्ल्यूएलआई को रेलवे अस्पताल में हेल्प डेस्क पर तैनात किया गया था। इस मामले में एक बाबू का भी स्थानांतरण किया गया था। कर्मचारियों का कहना है कि अगर आरोप तय करने में इसी तरह देरी होती रही, तो कोई आश्चर्य नहीं कि परीक्षा में गड़बड़ी के आरोपी अधिकारी भी बन जाएं, जिससे जांच प्रक्रिया की विश्वसनीयता पर गंभीर प्रश्नचिह्न लगेगा।

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