कोटा : कोटा रेलवे मंडल में एक और संभावित 'म्युचुअल ट्रांसफर घोटाले' की आशंका जताई जा रही है, जबकि पहले से चल रहे ऐसे ही एक मामले का परिणाम अभी तक सामने नहीं आया है। इस बार मामला एक पिता और पुत्र के बीच पारस्परिक स्थानांतरण (म्युचुअल ट्रांसफर) के प्रयास से जुड़ा है, जिसका रेलवे मजदूर संघ ने कड़ा विरोध किया है।
मामले के अनुसार, गंगापुर में पैसेंजर लोको पायलट लक्ष्मण सिंह ने अपने बेटे के साथ म्युचुअल ट्रांसफर के लिए आवेदन किया है। उनका बेटा उत्तर-पश्चिम रेलवे जोधपुर में लोको पायलट के पद पर तैनात है। लक्ष्मण सिंह के रिटायरमेंट में केवल लगभग एक साल का समय बचा है। ऐसे में उनका प्रयास है कि बेटा कोटा मंडल में आ जाए और वह स्वयं जोधपुर जाकर रिटायरमेंट ले लें।
हालांकि, नियमानुसार, यदि किसी कर्मचारी के रिटायरमेंट में दो साल से कम का समय शेष है, तो उसका म्युचुअल ट्रांसफर नहीं हो सकता। इसके बावजूद, लक्ष्मण सिंह द्वारा नियम विरुद्ध तरीके से इस पारस्परिक स्थानांतरण की कोशिश की जा रही है।
रेलवे मजदूर संघ ने इस प्रयास का कड़ा विरोध करते हुए डीआरएम (मंडल रेल प्रबंधक) को एक पत्र लिखा है। पत्र में संघ के सचिव अब्दुल खालिक ने चिंता व्यक्त की है कि कोटा मंडल के कर्मचारी अपने आर्थिक फायदे या रिश्तेदारी निभाने के लिए अन्य मंडल और ज़ोन के कर्मचारियों से आपसी स्थानांतरण ले रहे हैं। खालिक का कहना है कि इससे कोटा मंडल के लोको पायलटों की पदोन्नति पर गलत प्रभाव पड़ रहा है।
खालिक ने मांग की है कि मंडल और ज़ोन स्तर पर आपसी स्थानांतरण की एक नई नीति बनाई जाए। इस नीति में यह प्रावधान हो कि यदि कोटा मंडल में किसी कर्मचारी का दो वर्ष से कम का सेवानिवृत्ति समय शेष रह जाता है, तो वह बाहरी ज़ोन के कर्मचारी से स्थानांतरण न कर सके।
गौरतलब है कि हाल ही में कोटा में एक ऐसा ही म्युचुअल ट्रांसफर घोटाला सामने आया था। कोटा के मेल लोको पायलट बदन सिंह मीणा ने आगरा मंडल के मथुरा स्टेशन पर तैनात मेल लोको पायलट सुरेश चंद मीणा से पारस्परिक स्थानांतरण किया था। उस समय बदन सिंह मीणा के सेवानिवृत्त होने में लगभग छह महीने ही बचे थे।
नियमानुसार कम समय शेष होने के बावजूद दोनों का म्युचुअल ट्रांसफर हो गया। इसके बाद बदन सिंह का ट्रांसफर गंगापुर कर दिया गया, लेकिन वह न तो गंगापुर गए और न ही आगरा मंडल। बदन सिंह ने कोटा से ही रिटायरमेंट ले लिया, जबकि सुरेश बदन सिंह की जगह नौकरी करने लगा। इस घटना से पदोन्नति की आस लगाए बैठे आधा दर्जन लोको पायलटों को भारी निराशा हुई थी। उन्होंने शिकायती पत्र लिखकर कोटा मंडल रेल प्रशासन के समक्ष अपनी गहरी नाराजगी भी दर्ज करवाई थी। शिकायत को चार महीने से अधिक समय हो जाने के बावजूद भी प्रशासन अभी तक इस नियम विरुद्ध हुए म्युचुअल ट्रांसफर पर कोई निर्णय नहीं ले सका है।
इस नए मामले ने एक बार फिर रेलवे में म्युचुअल ट्रांसफर नियमों के दुरुपयोग और पारदर्शिता की कमी पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
No comments yet. Be the first to comment!
Please Login to comment.
© G News Portal. All Rights Reserved.