जिलों और संभागों के पुनर्निर्धारण के निर्णय के समर्थन में उतरे पूर्व ब्यूरोक्रेट्स, कहा- निर्णय व्यवहारिक

जिलों और संभागों के पुनर्निर्धारण के निर्णय के समर्थन में उतरे पूर्व ब्यूरोक्रेट्स, कहा- निर्णय व्यवहारिक

जिलों के पुनर्निर्धारण: पूर्व आईएएस अधिकारियों ने दिया समर्थन
जयपुर: राजस्थान सरकार द्वारा हाल ही में किए गए जिलों और संभागों के पुनर्निर्धारण के फैसले पर राजनीतिक बहस जारी है। जहां एक ओर कांग्रेस पार्टी इस फैसले का विरोध कर रही है, वहीं दूसरी ओर राज्य के सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारियों ने इस फैसले का समर्थन किया है।

पूर्व आईएएस अधिकारियों का मानना है कि यह फैसला प्रशासनिक दृष्टि से सही और व्यावहारिक है। उन्होंने तर्क दिया कि कई नए बनाए गए जिले छोटे थे और इनका अपना कोई औचित्य नहीं था। इन जिलों का प्रशासनिक खर्च अधिक था और इनका रखरखाव भी मुश्किल था।

पूर्व आईएएस अधिकारियों के विचार:

  • सत्य प्रकाश बसवाला: उन्होंने कहा कि राज्य सरकार द्वारा नवगठित जिलों और संभागों के पुनर्निर्धारण का फैसला स्वागत योग्य है।
  • एस एस बिस्सा: उन्होंने कहा कि 9 जिलों को समाप्त करने का निर्णय प्रशासनिक दृष्टि से सही है, क्योंकि ये जिले तहसील स्तर के थे।
  • अंतर सिंह नेहरा: उन्होंने कहा कि नए जिलों के गठन में काफी खर्च होता है। जैसे जयपुर ग्रामीण और जोधपुर ग्रामीण जैसे जिलों का कोई खास औचित्य नहीं था।
  • शिवाजी राम प्रतिहार: उन्होंने कहा कि जनकल्याणकारी सरकार को लोकहित में नीतिगत फैसले लेने चाहिए।
  • डॉ. मोहन लाल यादव: उन्होंने कहा कि प्रदेश में नए जिलों का सुव्यवस्थित विकास जरूरी है।
  • चन्द्र प्रकाश कटारिया: उन्होंने कहा कि छोटे जिलों को समाप्त करने से अनावश्यक खर्च कम होगा।
  • टीआर मीणा: उन्होंने कहा कि नए जिले वैज्ञानिक और भौगोलिक दृष्टि से सही नहीं थे।

निष्कर्ष:

पूर्व आईएएस अधिकारियों का मानना है कि राज्य सरकार द्वारा लिया गया यह फैसला प्रशासनिक दृष्टि से सही है और इससे राज्य के विकास में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि इस फैसले से प्रशासनिक खर्च कम होगा और विकास के लिए अधिक धनराशि उपलब्ध होगी।

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