दौसा। एशिया के सबसे बड़े कच्चे बांध मोरेल बांध से पानी मिलने का इंतजार कर रहे किसानों के लिए बड़ी खुशखबरी आ गई है। बांध की नहरों में 21 नवंबर को सुबह 11 बजे से रबी फसल की सिंचाई के लिए पानी छोड़ा जाएगा। इस निर्णय से दौसा और सवाई माधोपुर जिले के 83 गाँवों के किसानों को सीधा लाभ मिलेगा।
सुव्यवस्थित जल वितरण व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए बुधवार को सवाई माधोपुर कलक्ट्रेट सभागार में जल वितरण समिति की महत्वपूर्ण बैठक आयोजित हुई।
अध्यक्षता: भरतपुर संभागीय आयुक्त डॉ. टीना सोनी।
उपस्थिति: दौसा जिला कलक्टर देवेंद्र कुमार, सवाई माधोपुर जिला कलक्टर कानाराम, दोनों जिलों के प्रशासनिक अधिकारी, विभागीय अधिकारी (दौसा एक्सईएन एम.एल. मीना, सवाई माधोपुर एक्सईएन अरुण शर्मा) तथा जल उपभोक्ता संगम के पदाधिकारी और किसान।
निर्णय: सहायक अभियंता चेतराम मीना ने बताया कि संभागीय आयुक्त की अध्यक्षता में हुई चर्चा के बाद सर्वसम्मति से यह निर्णय लिया गया कि 21 नवंबर को सुबह 11 बजे मोरेल बांध की नहरों में पानी छोड़ा जाएगा।
सहायक अभियंता ने स्पष्ट किया है कि नहर संचालन में बाधा उत्पन्न करने या नहरों को क्षति पहुँचाने वालों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
इस वर्ष मोरेल बांध के इतिहास में सबसे अधिक समय तक चादर चलने का रिकॉर्ड दर्ज हुआ है।
रिकॉर्ड चादर: बांध पर 14 जुलाई से लगातार चार महीने से अधिक समय तक चादर (ओवरफ्लो) जारी है। मंगलवार को भी डेढ़ इंच की चादर दर्ज की गई थी।
कुल भराव क्षमता: जल संसाधन वृत जयपुर के अधीक्षण अभियंता रमाशंकर शर्मा ने बताया कि बांध का कुल भराव गेज 30 फीट है।
इस स्तर पर कुल भराव क्षमता 2707 एमसीएफटी है।
इसमें से 2496 एमसीएफटी लाइव पानी और 211 एमसीएफटी डेड स्टोरेज है।
सिंचाई के लिए पानी: वर्तमान में बांध में 2707 एमसीएफटी पानी उपलब्ध है, जिसमें डेड स्टोरेज को घटाकर 2496 एमसीएफटी पानी सिंचाई के लिए उपलब्ध रहेगा।
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