2024 का साल राजस्थान की राजनीति में ऐतिहासिक बदलाव का प्रतीक बन गया। गहलोत-वसुंधरा राजे की परंपरागत सत्ता अदला-बदली की प्रक्रिया को तोड़ते हुए प्रदेश में नई राजनीतिक धाराओं का आगमन हुआ। आइए जानते हैं इस साल की तीन प्रमुख घटनाओं के बारे में, जिन्होंने राजस्थान की सियासी तस्वीर बदल दी।
2024 की शुरुआत में राजस्थान की राजनीति में सबसे बड़ा बदलाव देखने को मिला। करीब 25 वर्षों तक बारी-बारी से सत्ता में आने वाली अशोक गहलोत और वसुंधरा राजे की जोड़ी का प्रभाव समाप्त हो गया।
यह बदलाव तब स्पष्ट हुआ जब भाजपा ने पहली बार के विधायक भजनलाल लाल शर्मा को मुख्यमंत्री बनाया। यह निर्णय राज्य की राजनीति में एक नई सोच और नई दिशा का प्रतीक बनकर उभरा। वसुंधरा राजे ने खुद 'पर्ची' खोलकर इस परिवर्तन की घोषणा की, जिसने हर किसी को चौंका दिया।
राजस्थान की राजनीति के एक प्रमुख चेहरे हनुमान बेनीवाल और उनके परिवार को इस साल करारी हार का सामना करना पड़ा। उपचुनाव में उनकी पत्नी कनिका बेनीवाल को हार का सामना करना पड़ा, जिसके साथ ही बेनीवाल परिवार की 47 साल पुरानी विधानसभा उपस्थिति खत्म हो गई।
हनुमान बेनीवाल ने पिछले कई दशकों से कांग्रेस और भाजपा की राजनीति के बीच अपनी अलग पहचान बनाई थी। लेकिन 2024 के चुनावी नतीजों ने उनकी राजनीतिक ताकत को कमजोर कर दिया और खींवसर विधानसभा क्षेत्र से उनकी राजनीतिक विरासत को झटका लगा।
2024 की सबसे चौंकाने वाली घटना रही भारत आदिवासी पार्टी (BAP) का उदय। यह पार्टी आदिवासी वागड़ क्षेत्र में मजबूत क्षेत्रीय ताकत बनकर उभरी। विधानसभा चुनावों में तीन विधायकों के साथ शुरुआत करने वाली BAP ने लोकसभा उपचुनाव में दो सीटें जीतकर प्रदेश की राजनीति में अपना परचम लहराया।
BAP का यह प्रदर्शन भाजपा और कांग्रेस के लिए बड़ी चुनौती बन गया है। महज छह वर्षों में यह पार्टी राजस्थान का तीसरा सबसे बड़ा राजनीतिक दल बन चुकी है।
2024 का साल राजस्थान की राजनीति में नए अध्यायों का प्रतीक बन गया। सत्ता के पुराने महारथियों के कमजोर होने और नए नेतृत्व के उभरने के साथ, राज्य की सियासत में कई नए समीकरण बनते नजर आए। यह बदलाव भविष्य में राज्य की राजनीति को एक नई दिशा देने वाला है।
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