सवाई माधोपुर: खनिज, परिवहन, पुलिस और प्रशासन की कथित मिलीभगत के चलते सवाई माधोपुर जिले में बजरी माफियाओं के हौसले बुलंद हैं। राजनीतिक दलों द्वारा संरक्षण मिलने के कारण, 'सफेद सोना' उगलने वाला बजरी का अवैध कारोबार दिनोंदिन फलफूल रहा है।
जिले में 2,000 से अधिक ट्रैक्टर-ट्रॉली, 500 डंपर और कई जेसीबी और लोडर मशीनें इस अवैध बजरी कारोबार में शामिल हैं। वे मुख्य रूप से नदी क्षेत्रों में अवैध खनन करते हैं, और खनिज विभाग द्वारा इन्हें रोकने के लिए कोई ठोस योजना नहीं बनाई गई है। प्रशासन और पुलिस कभी-कभी सड़कों पर कार्रवाई करते हैं, लेकिन यह अपर्याप्त है। जब भी प्रशासन और पुलिस की टीमें नदी क्षेत्रों में खनन रोकने की कोशिश करती हैं, तो खनन माफिया उन पर हमला करते हैं। इन हमलों में एक सरपंच की मौत हो चुकी है, और कई एसडीएम, पुलिस उपाधीक्षक, तहसीलदार, थाना प्रभारी और पुलिसकर्मी घायल हुए हैं। विभिन्न पुलिस स्टेशनों में दर्ज प्राथमिकियां इन घटनाओं की पुष्टि करती हैं।
अवैध खनन कार्रवाई पर हमलों के उदाहरण:
14 फरवरी, 2018: हथडोली सरपंच रघुवीर मीणा की हत्या।
15 जून, 2019: आरएसी टुकड़ी पर हमले में दो जवान घायल।
16 जून, 2019: देवली में खनन विभाग की टीम पर हमला, 5 ट्रैक्टर छीन लिए गए।
22 जुलाई, 2019: बौंली के उप-निरीक्षक मुकेश कुमार पर हमला, जबरन ट्रैक्टर छुड़ाया गया, और बौंली के तत्कालीन एसडीएम जगत राजेश्वर पर हमला।
2024: मलारना डूंगर के एसडीएम बद्रीनारायण बिश्नोई पर हमले का प्रयास।
जिले में मुख्य अवैध खनन क्षेत्र:
सवाई माधोपुर उपखंड, सूरवाल थाना क्षेत्र: दोबड़ा, रैथा, बाडोलास।
सवाई माधोपुर उपखंड, कुंडेरा थाना क्षेत्र: ओलवाड़ा, भूरी पहाड़ी, डूंगरी।
खंडार उपखंड, खंडार थाना क्षेत्र: बनास नदी में खटकड़, पीलांडी, सावता, अनियाला, बड़ौद, पादड़ा, पादरी, बरनावदा घाट।
खंडार उपखंड, बहरावंडा कलां थाना: सिंगोर कलां, गोकुलपुर, आकोदा, सेंवती, क्यारदा, चित्तौड़ला, पिपलेट, बरनावदा घाट, कुड़ाना, कुतलपुर।
बौंली उपखंड, बौंली थाना क्षेत्र: जोलंदा, महेश्वरा, थड़ी, पीपलवाड़ा, बहनोली, देवली।
मलारना डूंगर उपखंड, मलारना डूंगर थाना क्षेत्र: भारजा नदी, बिलोली नदी, श्यामोली।
चौथ का बरवाड़ा थाना क्षेत्र: डिडायच, बंदेडिया, देवली, बगीना, ईसरदा से शॉलपुर गांव तक। ये सभी बनास नदी से जुड़े क्षेत्र हैं।
बनास नदी में जेसीबी का उपयोग करके बड़े पैमाने पर खनन किया जा रहा है। पुलिस और प्रशासन केवल सड़कों पर माफियाओं को रोकने की कोशिश करते हैं, जबकि नदी क्षेत्रों में खनन अबाधित रहता है। खनिज विभाग की टीमें भी कार्रवाई करने के लिए पुलिस के साथ नहीं जाती हैं, जिससे तालमेल की कमी दिखाई देती है।
स्थानीय लोगों का आरोप है कि खनिज विभाग के अधिकारी फोन नहीं उठाते हैं। जब उनके कार्यालयों में जाकर कार्रवाई के बारे में पूछा जाता है, तो वे पुलिस बल और संसाधनों की कमी का हवाला देते हैं। नतीजतन, पुलिस केवल चौकियों पर कार्रवाई करके अपनी जिम्मेदारी पूरी कर लेती है।
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