कोटा। रेलवे द्वारा शनिवार को चलाई गई कोटा-दुर्गापुरा राखी स्पेशल ट्रेन एक बार फिर यात्रियों के बिना ही चली गई। 11 कोच की यह ट्रेन यात्रियों के लिए तरस गई, जिससे ऐसा लग रहा था मानो रेलवे ने खाली रैक ही चला दिया हो। यह ट्रेन कोटा के अलावा लाखेरी, इंद्रगढ़, सवाई माधोपुर और वनस्थली निवाई से भी यात्रियों को आकर्षित करने में विफल रही।
सूचना का अभाव बना खाली ट्रेन का कारण
सबसे बड़ी लापरवाही रेलवे द्वारा इस ट्रेन की कोई आधिकारिक सूचना जारी न करना रही। न तो कोई विज्ञप्ति जारी की गई, और न ही रेलवे ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट्स (एक्स, फेसबुक) या मीडिया समूहों पर ट्रेन की जानकारी देना उचित समझा। सूत्रों के अनुसार, इस ट्रेन के चलने की जानकारी केवल अधिकारियों तक ही सीमित थी। हालांकि, 'कोटा रेल न्यूज़' ने दोपहर में ही सूत्रों के हवाले से इस ट्रेन के चलने की सूचना दे दी थी, जिसकी पुष्टि शाम को अधिकारियों द्वारा भी की गई। इसके बावजूद, अधिकारियों ने सार्वजनिक सूचना जारी करना गैर-जरूरी समझा। इसी तरह, शनिवार को संचालित सोगरिया-दानापुर राखी स्पेशल ट्रेन को भी पर्याप्त यात्री भार नहीं मिला।
त्योहार के दिन ट्रेन चलाने का गलत निर्णय
राखी स्पेशल ट्रेनों को पर्याप्त यात्री भार न मिलने का मुख्य कारण त्योहार के दिन ही इन ट्रेनों का संचालन माना जा रहा है। यात्रियों का कहना है कि त्योहार से ठीक पहले या बाद में ट्रेनों में क्षमता से ज़्यादा यात्री होते हैं, लेकिन त्योहार के ठीक दिन यात्री भार लगभग शून्य हो जाता है। कोटा मंडल के अधिकारियों को, जो वर्षों से रेलवे में काम कर रहे हैं, शायद यह बात समझ में नहीं आती। यही कारण है कि राखी के त्योहार पर अधिकारी समय पर स्पेशल ट्रेन चलाने में पूरी तरह विफल रहे।
तीन दिन में दूसरा मामला
यह लगातार तीसरा दिन है जब स्पेशल ट्रेन को यात्री नहीं मिले हैं। इससे पहले गुरुवार को भी कोटा-भोपाल स्पेशल ट्रेन सूचना के अभाव में पूरी तरह खाली गई थी, और वापसी में भी खाली ही आई थी। हालांकि, तब रेलवे ने अपनी सफाई में इसे भोपाल में फंसे श्रद्धालुओं को निकालने के लिए भेजने की बात कही थी, लेकिन कोटा-दुर्गापुर राखी स्पेशल के मामले में कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है।
डीआरएम की फटकार भी बेअसर
राखी स्पेशल ट्रेन समय पर न चलाने को लेकर कोटा मंडल के अधिकारियों की बड़ी लापरवाही सामने आई है। अधिकारी एक-दूसरे को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं और फाइलों के अटकने की बात कह रहे हैं। इस 'निकम्मेपन' के लिए पिछले दिनों एक पुरस्कार वितरण समारोह में डीआरएम अनिल कालरा अधिकारियों को 'बेशर्म' तक कह चुके हैं। लेकिन मौजूदा अव्यवस्था को देखकर नहीं लगता कि डीआरएम की इन बातों का किसी अधिकारी पर कोई असर हुआ है।
यही कारण है कि स्पेशल ट्रेन चलाने की अधिकारियों की सारी योजना फेल हो गई। राखी के एक दिन पहले भी देर रात तक डीआरएम स्टेशन और सर्कुलेटिंग एरिया में व्यवस्था संभालते नजर आए, जबकि भारी भीड़ के बावजूद किसी अन्य अधिकारी ने यात्रियों की खैरियत पूछना भी उचित नहीं समझा।
हजारों यात्री हुए परेशान
अधिकारियों की इस लापरवाही का खामियाजा हजारों यात्रियों को भुगतना पड़ा। अत्यधिक भीड़ के कारण आरक्षित कोचों के यात्री भी अपनी सीट पर नहीं बैठ सके। भीड़ और कुप्रबंधन के चलते कई यात्रियों की त्योहार पर ट्रेन छूट गई। किराया खर्च कर चुके यह यात्री रेलवे को कोसते हुए अपने घर लौटे। यात्रियों की यह नाराजगी सोशल मीडिया पर भी जमकर देखने को मिली।
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