कोटा रेल मंडल: 14-14 घंटे ड्यूटी कर रहे लोको पायलट, 360 पद रिक्त; चरमराई व्यवस्था

कोटा रेल मंडल: 14-14 घंटे ड्यूटी कर रहे लोको पायलट, 360 पद रिक्त; चरमराई व्यवस्था

कोटा। कोटा रेल मंडल का रनिंग स्टाफ इस समय अपने सबसे बुरे दौर से गुज़र रहा है। लंबे समय से नई भर्ती न होने के कारण लोको पायलटों के 360 पद खाली पड़े हैं, जिससे कार्यरत कर्मचारियों पर काम का अत्यधिक दबाव पड़ रहा है। हालात इतने बिगड़ चुके हैं कि लोको पायलट 14-14 घंटे से भी अधिक समय तक ड्यूटी करने को मजबूर हैं।

अधिकारियों के अनुसार, कोटा रेल मंडल में सहायक लोको पायलट और लोको पायलटों के कुल 1620 पद हैं, जिनमें से 360 पद रिक्त हैं। कोटा मंडल में 1105 के मुकाबले 315 और गंगापुर में 515 में से 45 पद खाली हैं।

घंटों खड़ी रहती हैं मालगाड़ियां

स्टाफ की भारी कमी के चलते ट्रेन संचालन में गंभीर समस्या उत्पन्न हो गई है। लोको पायलटों के इंतजार में अब मालगाड़ियां घंटों तक, और कभी-कभी दिनों तक खड़ी रहने लगी हैं। जहां पहले रतलाम से कोटा, कोटा से गुना या गंगापुर तक मालगाड़ी 5 से 6 घंटे में पहुंच जाती थी, अब स्टाफ समय पर न मिलने के कारण एक ही बीट में तीन-चार क्रू बदलकर 12 से 15 घंटे में पहुंच रही है।

छुट्टी नहीं, तनाव में ड्यूटी

स्टाफ की कमी के कारण लोको पायलटों को समय पर छुट्टी और रेस्ट नहीं मिल रहा है, जिससे वे लगातार तनाव में ड्यूटी करने को मजबूर हैं। दीपावली जैसे बड़े त्योहार पर भी कर्मचारियों को एक दिन की छुट्टी के लिए तरसना पड़ा। काम के लगातार दबाव से यह नौकरी अब लोको पायलटों को किसी नरक से कम नहीं लग रही।

विरोध के बावजूद, स्टाफ की कमी के चलते लोको पायलटों को हेड क्वार्टर ओवरशूट कर गाड़ी चलाने और तीन-चार दिन घर से बाहर रहने के लिए मजबूर किया जा रहा है, जिससे उनका सामाजिक जीवन बुरी तरह प्रभावित हो रहा है।

संरक्षा पर खतरा, VRS लेने को मजबूर स्टाफ

  • नियमों का उल्लंघन: रेलवे बोर्ड के आदेशानुसार रनिंग स्टाफ से 9 घंटे से अधिक ड्यूटी नहीं करवाई जा सकती, विशेष परिस्थिति में यह 12 घंटे हो सकता है। लेकिन पिछले डेढ़ महीने में 14 घंटे से अधिक ड्यूटी के भी 20 प्रकरण सामने आए हैं। 12 से 14 घंटे ड्यूटी के 954 और 11 से 12 घंटे ड्यूटी के 1192 मामले दर्ज हुए हैं।

  • वीआरएस और आत्महत्या: काम की खराब स्थिति के कारण पिछले 2 सालों में 10 से अधिक लोको पायलट स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (वीआरएस) ले चुके हैं और 30 से अधिक मेडिकल डी कैटिगरीज हो चुके हैं। इसके अलावा, 4 कर्मचारी आत्महत्या तक कर चुके हैं।

  • बीमारों को भी ड्यूटी: बीमार रेल कर्मचारियों को अस्पताल में भर्ती करने की जगह दवाई देकर जबरन ड्यूटी पर भेजा जा रहा है। 'अनफिट' स्टाफ से भी ट्रेन चलाने का काम लिया जा रहा है।

डीआरएम का बयान

इस गंभीर स्थिति पर कोटा रेल मंडल के डीआरएम अनिल कालरा ने कहा, "रेलवे में नियमानुसार काम हो रहा है। निगरानी व्यवस्था में भी सुधार हुआ है। इसलिए सभी को काम करना पड़ रहा है। काम नहीं करने वाले कर्मचारियों को समस्या महसूस हो रही है।"

यदि जल्द ही भर्ती प्रक्रिया शुरू नहीं हुई तो कोटा मंडल में हालात और ज्यादा बिगड़ सकते हैं।

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