राजस्थान की राजनीति में नया मोड़ आया है। भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर बड़ा आरोप लगाते हुए कहा है कि उनकी सरकार ने राजनीतिक लाभ के लिए नए जिलों का गठन किया था। राजस्थान बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़ ने गहलोत पर विधायकों को खुश करने और अपनी अस्थिर सरकार को बचाने के लिए जल्दबाजी में नए जिलों की घोषणा करने का आरोप लगाया है।
मदन राठौड़ ने कहा कि अशोक गहलोत ने सेवानिवृत्त प्रशासनिक अधिकारी रामलुभाया की अध्यक्षता में समिति का गठन किया था। हालांकि, जब नए जिलों की घोषणा हुई, तो खुद रामलुभाया ने इस पर आश्चर्य व्यक्त किया। राठौड़ ने आरोप लगाया कि गहलोत सरकार ने समिति को अंधेरे में रखा और विधायकों को संतुष्ट करने के लिए जिलों का बंटवारा कर दिया।
भजनलाल सरकार ने पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार द्वारा बनाए गए 17 जिलों में से 9 को रद्द कर दिया। इसके बाद से राजस्थान में राजनीतिक बयानबाजी तेज हो गई है। बीजेपी और कांग्रेस के बीच इस मुद्दे पर आरोप-प्रत्यारोप का दौर चल रहा है।
बीजेपी नेताओं का कहना है कि नए जिलों का गठन विकास को ध्यान में रखकर नहीं, बल्कि राजनीतिक समीकरणों को साधने के लिए किया गया था। राठौड़ ने कहा, "अशोक गहलोत ने विधायकों को खुश करने के लिए यह कदम उठाया ताकि उनकी सरकार को समर्थन मिल सके। यह प्रशासनिक निर्णय कम और राजनीतिक फैसला ज्यादा था।"
कांग्रेस की ओर से इस मुद्दे पर अभी तक कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। हालांकि, सूत्रों के अनुसार, पार्टी का कहना है कि नए जिलों का गठन राज्य के विकास और जनता की सुविधा को ध्यान में रखकर किया गया था।
राजस्थान में विधानसभा चुनाव नजदीक हैं और ऐसे में नए जिलों का मुद्दा एक बार फिर राजनीतिक बहस का केंद्र बन गया है। पक्ष-विपक्ष दोनों अपनी-अपनी रणनीति के तहत इस मामले को भुनाने में लगे हुए हैं।
नए जिलों का गठन विकास के लिए था या राजनीतिक लाभ के लिए, यह तो समय ही बताएगा। लेकिन फिलहाल, राजस्थान की राजनीति इस मुद्दे पर गर्म हो चुकी है, और आगामी चुनावों में यह एक बड़ा मुद्दा बन सकता है।
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