कोटा। झालरापाटन में हाल ही में बनाए गए रेलवे आवासों की निर्माण गुणवत्ता की पोल पहली ही बारिश में खुल गई है। इन आवासों को बने अभी एक साल भी पूरा नहीं हुआ है कि कई मकानों में बड़ी-बड़ी दरारें साफ नजर आने लगी हैं। कोटा स्टोन का फर्श अपनी जगह छोड़ चुका है और कई जगह धंस गया है, जिससे रहने वाले कर्मचारियों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। अधिकतर मकानों में सीलन भी आ रही है, जिससे दीवारों को नुकसान हो रहा है और नमी की समस्या बढ़ रही है।
कर्मचारियों ने बताया कि कॉलोनी में पानी निकासी के लिए उचित नालियों का निर्माण नहीं किया गया है। इसके चलते कॉलोनी के मुख्य मार्ग और आवासों के चारों ओर पानी भर जाता है। पानी भरे रहने के कारण कर्मचारियों को मकानों में आने-जाने में भी दिक्कत होती है और मौसमी बीमारियों का खतरा भी बढ़ गया है। इसके अलावा, पानी की टंकी का वॉल्व भी पानी में डूब चुका है, जिससे पानी खोलने में समस्या आ रही है। पानी की समस्या के साथ-साथ इन मकानों में बिजली की भी परेशानी बनी हुई है।
कर्मचारियों का आरोप है कि उन्होंने इस संबंध में सुपरवाइजरों और वरिष्ठ अधिकारियों को कई बार शिकायतें की हैं, लेकिन इसके बावजूद अधिकारियों द्वारा मकानों की मरम्मत कराना जरूरी नहीं समझा जा रहा है। उल्टा, अधिकारियों द्वारा कर्मचारियों को मकान खाली करने की बात कही जाती है। रामगंजमंडी के अधिकारी तो इन मकानों को अपने अधिकार क्षेत्र में होने से ही इनकार कर रहे हैं। अधिकारियों द्वारा यह भी कहा जा रहा है कि इन मकानों का किराया नहीं कटता, जबकि कर्मचारियों का कहना है कि उनका मकान किराया कटना शुरू हो चुका है। कर्मचारियों ने अपनी पीड़ा व्यक्त करते हुए कहा कि सुविधाओं के अभाव में ये नए रेलवे आवास कर्मचारियों के लिए परेशानी का सबब बन गए हैं।
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