राजस्थान में भजनलाल सरकार द्वारा गहलोत सरकार के कार्यकाल में बने 17 नए जिलों में से 9 जिलों को खत्म करने के फैसले के बाद प्रदेशभर में विरोध प्रदर्शन तेज हो गया है। अनूपगढ़ और नीमकाथाना समेत कई जगहों पर लोग सरकार के इस निर्णय के खिलाफ सड़कों पर उतर आए हैं।
नीमकाथाना में महापड़ाव का ऐलान
नीमकाथाना में व्यापारिक संगठनों और जिला बचाओ संघर्ष समिति के बैनर तले सोमवार से अनिश्चितकालीन बंद का आह्वान किया गया है। विधायक सुरेश मोदी के नेतृत्व में कलेक्टर शरद मेहरा को मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा गया, जिसमें जिले को यथावत रखने की मांग की गई। प्रदर्शनकारियों ने मंगलवार से कलेक्ट्रेट के बाहर अनिश्चितकालीन महापड़ाव शुरू करने की घोषणा की है।
अनूपगढ़ में बाजार बंद
अनूपगढ़ में भी सरकार के इस निर्णय के खिलाफ विरोध प्रदर्शन हो रहा है। व्यापारिक संगठनों ने बाजार बंद कर विरोध जताया। लोगों का कहना है कि अगर जिला निरस्त ही करना था, तो पहले आधारभूत ढांचा तैयार करने के लिए घोषणाएं क्यों की गईं।
कांग्रेस और बीजेपी नेताओं में नाराजगी
सरकार के इस निर्णय को लेकर कांग्रेस और बीजेपी दोनों दलों के नेताओं ने असहमति जताई है। कांग्रेस के स्थानीय नेताओं ने इसे राजनीतिक द्वेष से भरा हुआ फैसला बताया है, वहीं बीजेपी के पदाधिकारी भी इसे क्षेत्रीय विकास के खिलाफ मान रहे हैं।
इन 9 जिलों को किया गया निरस्त
शनिवार को कैबिनेट मीटिंग में भजनलाल सरकार ने दूदू, केकड़ी, शाहपुरा, नीमकाथाना, गंगापुरसिटी, जयपुर ग्रामीण, जोधपुर ग्रामीण, अनूपगढ़, और सांचौर जिलों को निरस्त करने का निर्णय लिया। इस फैसले ने कई क्षेत्रों में असंतोष की लहर पैदा कर दी है।
रावला-घड़साना के लोगों पर प्रभाव
अनूपगढ़ जिला बनने के बाद घड़साना और रावला जैसे सीमावर्ती क्षेत्रों के लोगों के लिए जिला मुख्यालय की दूरी कम हो गई थी। लेकिन जिले को निरस्त करने के बाद अब इन क्षेत्रों के लोगों को 200 किलोमीटर से ज्यादा की दूरी तय करके श्रीगंगानगर मुख्यालय जाना होगा। इससे आमजन को भारी असुविधा होगी।
जनता की नाराजगी और मांग
स्थानीय लोगों का कहना है कि नया जिला बनाकर 16 कार्यालय शुरू कर दिए गए थे और 14 अन्य कार्यालयों की योजनाएं थीं। ऐसे में जिला निरस्त करने का निर्णय विकास को पीछे ले जाने जैसा है। जनता ने सरकार से इस फैसले को वापस लेने की मांग की है।
संघर्ष तेज होने की संभावना
नीमकाथाना में संघर्ष समिति ने ट्रेन रोकने की चेतावनी दी है, जबकि अनूपगढ़ और अन्य प्रभावित क्षेत्रों में प्रदर्शनकारियों ने हाईवे बंद करने की योजना बनाई है।
सरकार के इस फैसले को लेकर जनता और जनप्रतिनिधियों में बढ़ती नाराजगी राज्य की राजनीति को नई दिशा दे सकती है।