महिला लोको पायलटों पर सवाल: बिना ट्रेन चलाए मिल रहा DRM अवार्ड!

महिला लोको पायलटों पर सवाल: बिना ट्रेन चलाए मिल रहा DRM अवार्ड!

कोटा। कोटा रेल मंडल में महिला सहायक लोको पायलटों (ALP) के कार्यशैली पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं। आरोप है कि मंडल में कार्यरत पांचों महिला ALP ट्रेन चलाने की अपनी मूल ड्यूटी पर न जाकर, अपनी पसंद से हमेशा ऑफिस में ही दिन की शिफ्ट में काम कर रही हैं। चौंकाने वाली बात यह है कि बिना ट्रेन चलाए भी इनमें से कुछ महिला लोको पायलटों को DRM अवार्ड तक मिल चुके हैं।

रनिंग स्टाफ के कर्मचारियों ने बताया कि इन महिला लोको पायलटों को समय-समय पर लाइन पर जाने के लिए LRD (लोको रनिंग ड्यूटी) भी दी जाती है, लेकिन लाइन पर नहीं जाने के कारण यह LRD फिर ड्यू हो जाती है।


 

यह कारनामा केवल कोटा में

 

कर्मचारियों के अनुसार, महिला लोको पायलटों का यह 'कारनामा' केवल कोटा मंडल में ही देखने को मिल रहा है। कोटा के अलावा भारतीय रेलवे के अन्य सभी मंडलों, जैसे भोपाल, सागर, इटारसी और कटनी आदि में महिला लोको पायलट दिन-रात ट्रेनें चलाती हैं। जबकि कोटा की महिला लोको पायलटों की ऑफिस में भी रात की ड्यूटी नहीं लगाना जरूरी नहीं समझा जाता।


 

20 में से 19 साल ऑफिस में काम

 

रनिंग स्टाफ ने उदाहरण देते हुए बताया कि करीब 15 साल सहायक लोको पायलट रहीं रीना राजपूत ने मुश्किल से एक साल ही लाइन पर काम किया होगा, बाकी का समय ऑफिस में ही निकला। लोको पायलट बनने के बाद पिछले 5 साल से रीना शायद ही कभी लाइन पर गई हों। अब मेडिकल फेल होने के बाद रीना वाणिज्य विभाग में लग गई हैं। इसके अलावा, करीब एक साल पहले ट्रांसफर होकर कोटा आईं सहायक लोको पायलट जयती कुमारी एक बार भी ट्रेन ड्यूटी पर नहीं गई हैं।


 

अन्य लोको पायलटों पर बढ़ रहा बोझ

 

यह स्थिति तब है जब कोटा रेल मंडल में लोको पायलटों की भारी कमी है। महिला लोको पायलटों के अपने मूल पद पर काम नहीं करने के कारण अन्य लोको पायलटों पर काम का बोझ बढ़ रहा है। इससे उन्हें समय पर छुट्टी और उचित आराम नहीं मिल पा रहा है।


 

दर्ज हैं कई शिकायतें, अधिकारी बोले- "दिखवाते हैं"

 

लाइन पर ड्यूटी नहीं जाने के कारण इन महिला लोको पायलटों की कई शिकायतें दर्ज हैं। लॉबी रजिस्टर में भी ये शिकायतें मौजूद हैं, और सभी सहायक लोको पायलट भी संयुक्त रूप से यह शिकायत कर चुके हैं। हालांकि, प्रशासन ने इन शिकायतों को आज तक गंभीरता से नहीं लिया है।

इसके उलट, कोटा मंडल में महिला गार्ड (ट्रेन मैनेजर) अपनी ड्यूटी पूरी ईमानदारी से निभा रही हैं। कोटा में 6 महिला गार्ड हैं और सभी ट्रेनों पर अपनी ड्यूटी कर रही हैं।

इस मामले पर वरिष्ठ मंडल विद्युत अभियंता (TRO) क्रितेश मीणा ने कहा, "मेरा पिछले दिनों ही कोटा ट्रांसफर हुआ है। अभी यह मामला मेरी नजर में नहीं आया है। इसे दिखवाते हैं।"


 

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