टोंक। ईसरदा बांध के दूसरे चरण के प्रस्तावित निर्माण कार्यों से पहले डूब क्षेत्र के किसानों ने मुआवजे और पुनर्वास को लेकर आंदोलन तेज कर दिया है। बुधवार को रुईपेच मैदान में ईसरदा बांध डूब क्षेत्र संघर्ष समिति के बैनर तले महासभा आयोजित की गई, जिसकी अध्यक्षता किसान नेता हंसराज फागना ने की। इसमें टोंक, उनियारा, चौथ का बरवाड़ा और खंडार उपखंड के 39 गांवों के किसान बड़ी संख्या में शामिल हुए।
वक्ताओं ने कहा कि ईसरदा बांध का निर्माण टोंक और सवाईमाधोपुर की सीमा पर किया गया है। प्रथम चरण में जलभराव के बाद भी विस्थापित परिवारों और किसानों को अब तक मुआवजा नहीं मिला। वहीं, दूसरे चरण में 262.80 आरएल मीटर भरा की अधिसूचना जारी की गई है, जिससे 39 से अधिक गांव प्रभावित होंगे और किसानों की आजीविका संकट में पड़ जाएगी।
महासभा के बाद किसानों ने नारेबाजी करते हुए घंटाघर से कलक्ट्रेट तक पैदल मार्च किया और 21 सूत्रीय मांगों का ज्ञापन मुख्यमंत्री के नाम जिला कलक्टर कल्पना अग्रवाल को सौंपा। इस दौरान अतिरिक्त जिला कलक्टर रामरतन सौकरिया, बीसलपुर एडीएम सहित कई अधिकारी मौजूद रहे।
डूब क्षेत्र की जमीन को सिंचित भूमि मानकर मुआवजा दिया जाए।
बांध की भराव क्षमता 262 आरएल मीटर की बजाय 258 आरएल मीटर तक सीमित की जाए।
कुएं, नलकूप, पाइपलाइन, बिजली कनेक्शन आदि का वर्तमान लागत से मुआवजा मिले।
विस्थापित परिवारों का पुनर्वास कृषि भूमि के पास सभी सुविधाओं सहित हो।
मकान, मंदिर और सम्पत्ति का पूरा मुआवजा दिया जाए।
राशन कार्ड धारकों और युवाओं को भी मुआवजा मिले।
पहले चरण का मुआवजा 2013 की दरों की बजाय 2025 के हिसाब से मिले।
सर्वे टीम में स्थानीय जनप्रतिनिधियों को शामिल किया जाए।
महासभा में देवपुरा सरपंच मुकेश बैरवा, पूर्व सरपंच देवलाल गुर्जर (मंडावर), फौजूराम मीणा (करीरिया), छीतर भील (चूरिया), कमलेश वर्मा (देवली-भांची), पुष्कर सैन, रूपनारायण मंडावर, रामेश्वर चौधरी, रतन भील, मदन चौधरी (अरनियाकेदार), रामस्वरूप बैरवा, हनुमान सिंह सोलंकी सहित सैकड़ों किसान शामिल हुए।
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