राजस्थान: एकल पट्टा घोटाले में शांति धारीवाल को सुप्रीम कोर्ट से राहत नहीं, ट्रायल कोर्ट में होगी जांच

राजस्थान: एकल पट्टा घोटाले में शांति धारीवाल को सुप्रीम कोर्ट से राहत नहीं, ट्रायल कोर्ट में होगी जांच

 

जयपुर: राजस्थान के बहुचर्चित एकल पट्टा घोटाले के मामले में पूर्व मंत्री शांति धारीवाल को सुप्रीम कोर्ट से कोई राहत नहीं मिली है। शीर्ष अदालत ने उनकी विशेष अनुमति याचिका (SLP) को सुनने से इनकार करते हुए 1 नवंबर 2024 के उच्च न्यायालय के आदेश को बरकरार रखा है।

 

⚖️ सुप्रीम कोर्ट का फैसला

 

जस्टिस जेके माहेश्वरी और जस्टिस विजय बिश्नोई की खंडपीठ ने सुनवाई के दौरान स्पष्ट किया:

  • गिरफ्तारी पर रोक: कोर्ट ने स्पष्ट किया कि एसीबी कोर्ट, जयपुर में लंबित प्रोटेस्ट पिटीशनों के निपटारे से पहले धारीवाल के खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई या गिरफ्तारी नहीं की जाएगी

  • जांच रहेगी जारी: हालांकि, भ्रष्टाचार मामले में जांच प्रक्रिया बिना किसी रुकावट के जारी रहेगी

  • ट्रायल कोर्ट में सुनवाई: कोर्ट ने कहा कि भ्रष्टाचार मामले में कानूनी प्रक्रिया ट्रायल कोर्ट (विशेष कोर्ट, जयपुर) स्तर पर जारी रहेगी और वही आगे की कार्रवाई तय करेगा।

 

📜 ट्रायल कोर्ट करेगा निर्णायक फैसला

 

सुप्रीम कोर्ट ने उच्च न्यायालय के उन निर्देशों को भी बरकरार रखा, जिनमें कहा गया था कि क्लोजर रिपोर्ट और प्रोटेस्ट पिटीशनों का निपटारा ट्रायल कोर्ट करेगा।

  • ट्रायल कोर्ट पुरानी और नई दोनों क्लोजर रिपोर्टों पर विचार कर सकता है।

  • राज्य सरकार के पास अतिरिक्त जांच रिपोर्ट प्रस्तुत करने का विकल्प है।

  • क्लोजर रिपोर्ट वापस लेने के आवेदन पर भी सुनवाई की जाएगी।

इस फैसले के बाद अब मामले का अंतिम निपटारा विशेष कोर्ट (पीसी एक्ट), जयपुर द्वारा किया जाएगा।

 

🏛️ सुनवाई में पक्षकार

 

  • शांति धारीवाल की ओर से: वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल

  • राजस्थान सरकार की ओर से: अतिरिक्त महाधिवक्ता शिवमंगल शर्मा

  • इंटरवीनर की ओर से: वरिष्ठ अधिवक्ता कुंवर सुल्तान सिंह और अधिवक्ता अजीत कुमार शर्माआदित्य विक्रम सिंह

 

📝 क्या है 'एकल पट्टा घोटाला'?

 

यह मामला 29 जून 2011 का है, जब जयपुर विकास प्राधिकरण (JDA) ने गणपति कंस्ट्रक्शन के मालिक शैलेंद्र गर्ग के नाम एक पट्टा जारी किया था।

  • आरोप: आरोप लगा कि पिछले रिजेक्शन की जानकारी जुटाए बिना नया पट्टा जारी किया गया और इसमें भारी स्तर पर भ्रष्टाचार हुआ।

  • शिकायत और जांच: साल 2013 में परिवादी रामशरण सिंह ने एसीबी में शिकायत दर्ज करवाई। तत्कालीन गहलोत सरकार ने बाद में पट्टा रद्द कर दिया और जांच शुरू हुई।

  • गिरफ्तारियां: इस मामले में तत्कालीन एसीएस जीएस संधू समेत छह आरोपियों की गिरफ्तारी भी हुई थी। तत्कालीन यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल भी जांच के दायरे में आए थे।


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