रणथंभौर टाइगर अटैक: डेढ़ महीने में बाघों ने ली 3 की जान, सरकार ने नहीं उठाया कोई सख्त कदम, प्रशासन मौन

रणथंभौर टाइगर अटैक: डेढ़ महीने में बाघों ने ली 3 की जान, सरकार ने नहीं उठाया कोई सख्त कदम, प्रशासन मौन

सवाई माधोपुर। रणथंभौर टाइगर रिजर्व में पिछले करीब डेढ़ माह में बाघों के लगातार तीन हमलों में तीन इंसानों की जान जा चुकी है, लेकिन वन विभाग के अधिकारी कथित तौर पर टूरिज्म की आड़ में इन मौतों का तमाशा देख रहे हैं। इस गंभीर स्थिति पर स्थानीय प्रशासन पूरी तरह मौन है, वहीं सरकार की चुप्पी भी इसे बढ़ावा दे रही है। इन दर्दनाक हादसों के बाद भी सरकार और वन विभाग ने किसी जिम्मेदार अफसर पर कोई कार्रवाई नहीं की है, जो यह साबित करने के लिए पर्याप्त है कि जंगल में बहुत कुछ ठीक नहीं चल रहा है।

आपको बता दें कि 21 अप्रैल से लेकर 9 जून तक के अंतराल में बाघों के तीन हमलों में तीन लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। इन मृतकों में एक मासूम बच्चा, एक रेंजर और एक बुजुर्ग चौकीदार शामिल हैं। चौंकाने वाली बात यह है कि इन हादसों के बाद भी वन विभाग के पास श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए कोई ठोस योजना नहीं है। आरोप है कि सरकारी अफसर सिर्फ वीआईपी की आवभगत में व्यस्त हैं। वहीं, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) भी इस खेल में दो कदम आगे है, जिसने कई पत्राचारों के बाद भी दुर्ग की दीवार की मरम्मत कराने की बजाय उसे खुला रखा, ताकि टाइगर आसानी से दुर्ग में आ सकें। वहीं, एएसआई पर अफसरों के लिए ऐशगाह बनाने हेतु रेस्ट हाउस के निर्माण में व्यस्त रहने का भी आरोप है।

वीआईपी की आवभगत में व्यस्त अधिकारी विगत डेढ़ माह में रणथंभौर में हुए इन हादसों के बाद भी एक भी आला अफसर ने मौके पर आने की जहमत नहीं की। जबकि गत दिनों जब मुख्य सचिव यहाँ आए तो पूरा प्रशासन जंगल में उनकी आवभगत में लगा रहा। साथ ही, केंद्रीय पर्यटन मंत्री के जंगल घूमने के दौरान भी अफसर नियमों को तोड़कर जंगल सफारी कराते रहे, लेकिन आमजन की सुरक्षा से जुड़े मुद्दों को नहीं उठाया और न ही समाधान की दिशा में कोई पहल की।

गौरतलब है कि साल 2023 में कुंडेरा के पास बाघ के हमले में घायल होने और टाइगर 57 की मौत पर सरकार ने डीएफओ को एपीओ कर दिया था। लेकिन अब तीन मौतों के बाद भी सरकार और वन विभाग का श्रद्धालुओं की सुरक्षा का कोई इंतजाम नहीं करना, उनकी घोर लापरवाही को दर्शाता है।

कब-कब हुए हमले?

  • 21 अप्रैल: बाघिन ने त्रिनेत्र गणेश मार्ग पर भीड़ के बीच 7 साल के बालक कार्तिक को अपना निशाना बनाया था, जिसमें उसकी मौत हो गई थी।
  • 12 मई: जोगी महल के पास रेंजर देवेंद्र सिंह पर शावकों ने हमला किया था। अंदेशा है कि हमले में दो शावक शामिल थे, लेकिन वन विभाग ने सिर्फ एरोहैड की एक फीमेल शावक को एन्क्लोजर में बंद कर इति श्री कर ली।
  • 9 जून: सुबह 4:30 बजे बाघ ने फिर हमला किया। इस बार मंदिर के 60 वर्षीय बुजुर्ग चौकीदार राधेश्याम सैनी ने इस हमले में अपनी जान गंवाई है।

यह स्थिति रणथंभौर में वन्यजीव प्रबंधन और मानव-वन्यजीव संघर्ष को रोकने के लिए गंभीर कदम उठाने की आवश्यकता को रेखांकित करती है, जिस पर सरकार और प्रशासन को तत्काल ध्यान देने की जरूरत है।

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