जयपुर: राजस्थान लोक सेवा आयोग (RPSC) ने भर्ती परीक्षाओं के लिए दस्तावेज़ सत्यापन प्रक्रिया को डिजिटल और अधिक सुविधाजनक बनाने के लिए डिजी लॉकर का उपयोग करने की घोषणा की है। इसके तहत डिग्रियों, अंकतालिकाओं और अन्य प्रमाणपत्रों का सत्यापन अब नेशनल एकेडमिक डिपॉजिटरी में संधारित डेटा के माध्यम से किया जाएगा।
राजस्थान लोक सेवा आयोग के सचिव रामनिवास मेहता ने बताया कि इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय, भारत सरकार के अनुरोध पर आयोग की भर्ती प्रक्रिया में डिजी लॉकर को अपनाया गया है। इस संबंध में 25 फरवरी 2025 को राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस प्रभाग द्वारा एक कार्यशाला का आयोजन किया गया था, जिसमें डिजी लॉकर की उपयोगिता पर तकनीकी प्रेजेंटेशन प्रस्तुत किया गया।
डिजी लॉकर पर आधार, 10वीं, 12वीं, ग्रेजुएशन आदि की अंकतालिका स्व-प्रमाणीकरण के साथ उपलब्ध होती है। ये दस्तावेज उसी प्राधिकरण द्वारा प्रमाणित किए जाते हैं, जिन्होंने इन्हें जारी किया है। इस कारण दस्तावेजों को दोबारा सत्यापित करने की आवश्यकता नहीं होती और सत्यापन प्रक्रिया तेज़ी से पूरी की जा सकती है।
डिजी लॉकर का उपयोग फर्जी डिग्री और प्रमाण-पत्रों पर रोक लगाने में भी कारगर साबित होगा। इसके जरिए अभ्यर्थी की सही पहचान और दस्तावेजों की प्रामाणिकता की पुष्टि की जा सकेगी, जिससे योग्य उम्मीदवारों के चयन में पारदर्शिता बनी रहेगी।
इसके अलावा, डिजी लॉकर से जुड़ने के बाद वन टाइम रजिस्ट्रेशन एप्लिकेशन आईडी, एडमिट कार्ड और अन्य महत्वपूर्ण सूचनाएं भी डिजी लॉकर के माध्यम से आसान और सुरक्षित तरीके से उपलब्ध कराई जा सकेंगी।
सचिव रामनिवास मेहता ने कहा कि भर्ती परीक्षाओं में आवेदन करने वाले सभी अभ्यर्थियों को डिजी लॉकर पर अकाउंट अवश्य बनाना चाहिए। इसके बाद, उन्हें अपनी 10वीं, 12वीं, ग्रेजुएशन और पोस्ट ग्रेजुएशन की अंकतालिकाओं को ऑनलाइन फेच करना होगा। एक बार फेच होने के बाद ये दस्तावेज डिजी लॉकर में सुरक्षित रहेंगे, जिनका उपयोग भविष्य में आसानी से किया जा सकेगा।
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