जयपुर। राज्य की क्रय-विक्रय सहकारी समितियों के कर्मचारियों को वेतनमान का लाभ तभी मिलेगा, जब समितियां लाभ में रहेंगी। शुक्रवार को विधानसभा में सहकारिता राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) गौतम कुमार ने प्रश्नकाल के दौरान यह स्पष्ट किया। उन्होंने कहा कि सहकारी समितियां स्वायत्तशासी संस्थाएं हैं और इनके अपने सेवा नियम होते हैं।
गौतम कुमार ने बताया कि समितियों के स्थाई कर्मचारियों को वेतनमान का लाभ देने के लिए कुछ शर्तों को पूरा करना अनिवार्य होगा। इनमें प्रमुख रूप से:
विगत 3 वर्षों में समिति द्वारा लाभ अर्जित किया गया हो।
सदस्यों को नियमानुसार लाभांश का भुगतान किया गया हो।
गठित कोषों में आवश्यक विनिधान कर दिया गया हो।
वेतनमान देने के बाद भी संस्था हानि की स्थिति में न आए।
वेतन एवं प्रशासनिक व्यय वर्ष के सकल लाभ के 50% से अधिक न हो।
राज्यमंत्री ने कहा कि इन शर्तों को पूरा करने के बाद प्रशासनिक स्वीकृति के तहत स्थायी कर्मचारियों को वेतनमान का लाभ दिया जा सकता है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि समितियों में राजस्थान सहकारी भर्ती बोर्ड के माध्यम से चयनित कार्मिकों को संतोषप्रद परिवीक्षाकाल पूर्ण करने के उपरांत वेतनमान का लाभ दिया जाता है।
उन्होंने बताया कि राज्य की क्रय-विक्रय सहकारी समितियों में समान वेतनमान लागू नहीं है। प्रत्येक समिति के वित्तीय प्रदर्शन के आधार पर वेतनमान का निर्धारण किया जाता है। सरकार का यह कदम समितियों की आर्थिक स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए उठाया गया है।
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