समरावता थप्पड़कांड: नरेश मीणा की जमानत अर्जी खारिज, 18 आरोपियों को मिली जमानत

समरावता थप्पड़कांड: नरेश मीणा की जमानत अर्जी खारिज, 18 आरोपियों को मिली जमानत

जयपुर: राजस्थान उपचुनाव के दौरान एसडीएम अमित चौधरी के साथ हुए थप्पड़कांड और उसके बाद टोंक के समरावता गांव में हुई हिंसा और आगजनी मामले में कोर्ट ने निर्दलीय प्रत्याशी नरेश मीणा को बड़ा झटका दिया है। सोमवार को सुनवाई के दौरान कोर्ट ने नरेश मीणा की जमानत अर्जी खारिज कर दी, जबकि इसी मामले में गिरफ्तार 18 अन्य आरोपियों को जमानत दे दी गई।

क्या है मामला?

यह घटना उपचुनाव के दौरान एसडीएम अमित चौधरी के साथ हुई मारपीट से शुरू हुई। इसके बाद समरावता गांव में हिंसा और आगजनी की घटनाएं हुईं, जिससे इलाके में तनाव का माहौल पैदा हो गया। पुलिस ने इन घटनाओं में मुख्य आरोपी के रूप में निर्दलीय चुनाव लड़ने वाले नरेश मीणा को गिरफ्तार किया और उनके साथ अन्य आरोपियों को भी हिरासत में लिया।

नरेश मीणा को कोर्ट से झटका

सोमवार को टोंक की अदालत में मामले की सुनवाई हुई, जहां कोर्ट ने नरेश मीणा की जमानत याचिका खारिज कर दी। सरकारी वकील ने अदालत में तर्क दिया कि नरेश मीणा की संलिप्तता हिंसा और आगजनी में साफ तौर पर साबित होती है और उन्हें जमानत देना जांच प्रक्रिया को बाधित कर सकता है।

18 अन्य आरोपियों को जमानत

हालांकि, कोर्ट ने मामले से जुड़े 18 अन्य आरोपियों को जमानत दे दी। इन आरोपियों के वकीलों ने कोर्ट में तर्क दिया कि उनके मुवक्किल का हिंसा में सीधा हस्तक्षेप नहीं था और उन्हें केवल शक के आधार पर गिरफ्तार किया गया था। कोर्ट ने इस तर्क को स्वीकार करते हुए उन्हें शर्तों के साथ जमानत दे दी।

अब तक 61 आरोपियों को जमानत

समरावता हिंसा और आगजनी मामले में अब तक कुल 61 आरोपियों को जमानत मिल चुकी है। पुलिस ने इन घटनाओं में कई नामजद और अज्ञात लोगों के खिलाफ मुकदमे दर्ज किए थे और बड़ी संख्या में गिरफ्तारियां की थीं।

राजनीतिक चर्चाएं तेज

इस मामले ने राजनीतिक गलियारों में भी हलचल मचा दी है। विपक्ष ने इस घटना को लेकर राज्य सरकार पर निशाना साधते हुए इसे कानून-व्यवस्था की विफलता करार दिया है। वहीं, सत्तारूढ़ दल ने प्रशासन की त्वरित कार्रवाई की सराहना की है।

आगे की कार्रवाई

पुलिस मामले की जांच में तेजी ला रही है और हिंसा में शामिल अन्य लोगों की भूमिका की पड़ताल कर रही है। कोर्ट के फैसले के बाद अब इस मामले पर सभी की नजरें टिकी हुई हैं।

निष्कर्ष
समरावता थप्पड़कांड और उसके बाद हुई घटनाएं न केवल कानूनी बल्कि राजनीतिक रूप से भी चर्चा का विषय बनी हुई हैं। जहां अदालत का फैसला पीड़ित पक्ष को राहत देता है, वहीं मामले की निष्पक्ष और त्वरित जांच की मांग भी जोर पकड़ रही है।

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