Rail News: कोटा-चित्तौड़गढ़ रेल खंड पर स्थित बरूंदनी रेलवे स्टेशन पर हाल ही में किए गए विकास कार्य पहली बारिश का भी सामना नहीं कर पाए हैं। निर्माण में ठोस फिलिंग के अभाव के कारण प्लेटफार्म पर बड़ी-बड़ी दरारें आ गई हैं, जिससे प्लेटफार्म अब रेल पटरी के किनारे से ढहने की कगार पर पहुँच गया है। इन दरारों को छिपाने की कोशिश में लीपापोती भी की गई है, लेकिन वे स्पष्ट रूप से दिखाई दे रही हैं। दरारों के कारण बरूंदनी लिखा हुआ बोर्ड भी एक तरफ झुक गया है, जो काम की खराब गुणवत्ता को दर्शाता है।
उल्लेखनीय है कि रेलवे ने ठेकेदार से प्लेटफार्म को ऊंचा करने और उसकी लंबाई बढ़ाने का काम करवाया था, लेकिन काम पूरा होते ही इसमें गंभीर खामियां सामने आने लगीं।
अनअप्रूव्ड कंपनी के पाइप लगाए गए स्टेशन के विकास कार्य के दौरान यात्रियों के बैठने के लिए कई शेड भी बनाए गए हैं। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, इन शेड्स में अनअप्रूव्ड कंपनी के पाइप लगाए गए हैं। बताया गया है कि लगाए गए पाइप अपोलो कंपनी के हैं, जबकि रेलवे की अनुमोदित कंपनियों की सूची में अपोलो का नाम शामिल नहीं है। रेलवे की सूची में जिंदल और सूर्या जैसी कंपनियां हैं, जिनके पाइप अपोलो के मुकाबले अधिक वजनी और मजबूत होते हैं। इसके बावजूद, यहां अपोलो कंपनी के कमजोर पाइपों का इस्तेमाल किया गया।
ठेकेदार का बिल रोका गया इस मामले में, मंडल इंजीनियर (सेंटर) दीपक थापलियाल ने बताया, "बरूंदनी स्टेशन पर घटिया काम की शिकायतें मिली हैं। इसके चलते फिलहाल ठेकेदार का बिल रोक दिया गया है। काम सही पाए जाने के बाद ही ठेकेदार का बिल पास किया जाएगा।"
यह घटना रेलवे के निर्माण कार्यों में पारदर्शिता और गुणवत्ता नियंत्रण पर गंभीर सवाल खड़े करती है, जिससे यात्रियों की सुरक्षा और सरकारी धन का दुरुपयोग भी उजागर होता है।
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