गंगापुर सिटी। भाजपा सरकार द्वारा गहलोत सरकार में बनाए गए गंगापुर सिटी को जिला बनाने के निर्णय को रद्द करने पर जनाक्रोश बढ़ता जा रहा है। इस मुद्दे पर गंगापुर सिटी जिला बचाओ संघर्ष समिति के तत्वावधान में रविवार को उपनेता प्रतिपक्ष और विधायक रामकेश मीणा ने प्रेस वार्ता आयोजित की। उन्होंने इस निर्णय को जनता के साथ अन्याय बताया और इसके खिलाफ बड़े आंदोलन की चेतावनी दी।
"हर स्थिति में जिले का संघर्ष जारी रहेगा"
प्रेस वार्ता के दौरान विधायक रामकेश मीणा ने कहा, "गंगापुर सिटी सभी भौगोलिक, जनसंख्या, आर्थिक और सामाजिक मानदंडों को पूरा करता है। बावजूद इसके, भजनलाल सरकार ने इसे जिला बनाने का निर्णय निरस्त कर जनता के साथ कुठाराघात किया है। यह गौहत्या से भी बड़ा पाप है, जिसका हिसाब आगामी चुनाव में जनता जरूर चुकता करेगी।"
विधानसभा में उठेगा मुद्दा
मीणा ने घोषणा की कि यह मुद्दा आगामी विधानसभा सत्र में उठाया जाएगा। उन्होंने कहा कि यदि जरूरत पड़ी तो वे अपनी विधायकी से इस्तीफा देने के लिए भी तैयार हैं। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि जनता का समर्थन मिला तो जिले को पुनः बहाल कराने के लिए हरसंभव प्रयास करेंगे।
भाजपा पर निशाना
रामकेश मीणा ने भाजपा नेताओं पर निशाना साधते हुए कहा, "भाजपा के नेताओं में गंगापुर सिटी को बचाने की ताकत नहीं थी। स्थानीय व्यापारियों और व्यवसायियों को भी आंदोलन के समय गुमराह किया गया। बाजार बंदी का समर्थन नहीं मिला, जिसका खामियाजा आज जनता को भुगतना पड़ रहा है।"
"राजनीति का सवाल नहीं, जनता का समर्थन चाहिए"
विधायक ने उन आरोपों को खारिज किया, जिसमें उन्हें राजनीति करने का दोषी ठहराया जा रहा है। उन्होंने कहा, "मेरा कार्यकाल अभी चार साल शेष है। मुझे राजनीति करने की जरूरत नहीं है। मैं केवल जनता के अधिकारों और उनकी मांग के लिए संघर्ष कर रहा हूं।"
आंदोलन की योजना
रामकेश मीणा ने घोषणा की कि संघर्ष समिति के बैनर तले आने वाले दिनों में बड़ा आंदोलन किया जाएगा। उन्होंने जनता से इस संघर्ष में जुड़ने और समर्थन देने की अपील की।
जनता में बढ़ता आक्रोश
गंगापुर सिटी को जिला बनाने का फैसला रद्द होने से स्थानीय लोगों में निराशा और आक्रोश है। लोग विधायक रामकेश मीणा के साथ खड़े होकर इस लड़ाई को और तेज करने की तैयारी में हैं।
क्या है स्थिति?
भजनलाल सरकार द्वारा 9 जिलों को निरस्त किए जाने के बाद गंगापुर सिटी के लोगों ने इसे अन्याय बताया है। विधायक मीणा के नेतृत्व में संघर्ष समिति इसे बहाल कराने के लिए प्रतिबद्ध है। अब देखना यह है कि आगामी विधानसभा सत्र और जनआंदोलन इस मुद्दे को किस ओर ले जाता है।
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