कोटा। कोविड-19 महामारी के कारण लगाए गए राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन के दौरान अपने घरों पर रहने वाले प्रशिक्षु रेल सेवकों के लिए रेलवे बोर्ड ने एक बड़ा फैसला लिया है। सोमवार को जारी आदेशों के अनुसार, ऐसे प्रशिक्षुओं के घर पर बिताए गए समय (अधिकतम छह महीने तक) को अब वेतन वृद्धि (इंक्रीमेंट) के उद्देश्यों के लिए ड्यूटी पर माना जाएगा।
रेलवे बोर्ड ने स्पष्ट किया है कि प्रशिक्षण अवधि, चाहे वह वजीफा (स्टाइपेंड) के साथ हो या बिना किसी पारिश्रमिक के, उसे कर्तव्य के रूप में ही गिना जाएगा। हालांकि, इसके लिए शर्त यह है कि प्रशिक्षण के बाद संबंधित कर्मचारी का स्थायीकरण (Confirmation) होना अनिवार्य है।
यह आदेश रेलवे बोर्ड ने एक जोनल रेलवे द्वारा पूछे गए सवाल के जवाब में जारी किया है। उस जोनल रेलवे ने यह स्पष्टीकरण मांगा था कि क्या कोविड-19 महामारी के कारण लगाए गए राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन के दौरान प्रशिक्षुओं द्वारा घर पर बिताए गए समय को भी वेतन वृद्धि के उद्देश्य से 'ड्यूटी' के रूप में गिना जा सकता है।
इस फैसले से उन हजारों प्रशिक्षु रेलकर्मियों को फायदा होगा, जिन्हें लॉकडाउन के कारण अपने प्रशिक्षण को बीच में ही रोकना पड़ा था या जो उस दौरान घर पर रहने को मजबूर थे। यह निर्णय उनकी भविष्य की वेतन वृद्धि और सेवा शर्तों पर सकारात्मक प्रभाव डालेगा।
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