जयपुर। राजस्थान में भाजपा सरकार के गठन के 22 महीने बीत जाने के बाद भी सरकारी कर्मचारियों के लिए स्थानांतरण नीति बनाने का वादा अभी तक अधूरा है। साल 2023 में सत्ता में आने के बावजूद, इस दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। हाल ही में शिक्षा विभाग में प्रधानाचार्यों के तबादलों को लेकर विशेष अनुमति दिए जाने के बाद एक बार फिर से इस नीति को लेकर चर्चा तेज हो गई है।
राज्य सरकार ने प्रशासनिक सुधार विभाग के माध्यम से 9 अप्रैल और 24 मई 2024 को सभी विभागों को अपनी-अपनी स्थानांतरण नीति बनाने के निर्देश दिए थे। लेकिन, आज तक किसी भी विभाग ने अपनी नीति बनाकर प्रशासनिक सुधार विभाग को नहीं भेजी है। यदि सभी विभाग अपनी नीतियां बना लेते हैं, तो इससे प्रदेश के 10 लाख से अधिक सरकारी कर्मचारियों को फायदा होगा। हाल ही में विधानसभा सत्र में भाजपा विधायक कालीचरण सराफ के सवाल पर सरकार ने भी स्वीकार किया कि यह प्रक्रिया अभी विभागों के स्तर पर ही लंबित है।
प्रस्तावित नियमों के अनुसार, कर्मचारी की पोस्टिंग कम से कम दो साल के लिए होनी चाहिए। सभी विभागों को 15 जनवरी तक ऑनलाइन पोर्टल पर रिक्त पदों को प्रकाशित करना होगा। कर्मचारी 1 फरवरी से 28 फरवरी तक ऑनलाइन आवेदन कर सकेंगे और 30 अप्रैल तक स्थानांतरण आदेश जारी कर दिए जाएंगे।
इस नीति में दिव्यांग, विधवा, परित्यक्ता, एकल महिला, पूर्व सैनिक, उत्कृष्ट खिलाड़ी, पति-पत्नी प्रकरण, असाध्य रोग और शहीद के आश्रित कर्मचारियों को प्राथमिकता दी जाएगी। इसके अलावा, जिन विभागों में 2,000 से अधिक कर्मचारी हैं, वे अपनी नीति स्वयं तैयार करेंगे। सेवाकाल में कर्मचारी को कम से कम दो साल ग्रामीण क्षेत्र में काम करना अनिवार्य होगा।
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