जयपुर: राजस्थान ऊर्जा विकास निगम (Rajasthan Urja Vikas Nigam) ने आखिरकार सोलर एनर्जी कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (SECI) के साथ की गई महंगी बिजली खरीद डील को रद्द करने का महत्वपूर्ण फैसला ले लिया है। निगम के बोर्ड ने अपने पूर्व के निर्णय को पलटते हुए SECI को पत्र लिखकर 25 साल के अनुबंध पर आगे नहीं बढ़ने की जानकारी दे दी है।
यह अनुबंध इसी वर्ष 30 जून को किया गया था, जिसके तहत राजस्थान को 25 साल तक ₹4.98 प्रति यूनिट की ऊंची दर से 630 मेगावाट बिजली खरीदनी थी। इस डील पर लगातार सवाल उठ रहे थे, खासकर इसलिए क्योंकि:
यह खरीद प्रस्ताव मूल रूप से दिल्ली की बिजली जरूरतों को ध्यान में रखकर तैयार किया गया था, जिसे दिल्ली की बिजली कंपनी ने अस्वीकार कर दिया था।
इसके बावजूद राजस्थान ऊर्जा विकास निगम ने इसे आगे बढ़ाने का निर्णय लिया था, जबकि बाजार में बिजली की दरें इससे कम थीं।
निगम ने SECI को लिखे पत्र में कहा है कि समझौते पर हस्ताक्षर के बाद कुछ ऐसे तथ्य सामने आए जो प्रस्ताव के समय बताए नहीं गए थे। निगम ने स्वीकार किया कि यह योजना दिल्ली के लिए डिजाइन की गई थी, न कि राजस्थान के लिए, और SECI ने अनुबंध के नियमों का उल्लंघन करते हुए निर्धारित समय से पहले टैरिफ अनुमोदन करा लिया था।
भले ही निगम ने इस अनुचित करार को रद्द कर दिया हो, लेकिन अब सबकी निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि इस महंगी डील को मंजूरी देने की कोशिश करने वाले अधिकारियों पर कार्रवाई होगी या नहीं।
इस डील को आगे बढ़ाने में दो वरिष्ठ IAS अधिकारियों और ऊर्जा निगम के कुछ शीर्ष अफसरों की भूमिका मुख्य रही है। ऊर्जा विकास निगम ने स्वयं यह स्वीकार किया है कि फैसला उचित नहीं था, ऐसे में यह सवाल उठ रहा है कि ऐसा निर्णय लेने वाले अधिकारियों पर जवाबदेही क्यों नहीं तय हुई है? राज्य सरकार से उम्मीद की जा रही है कि वह इस मामले की उच्च स्तरीय जाँच करवाकर दोषी अधिकारियों पर कठोर कार्रवाई करेगी ताकि भविष्य में सरकारी खजाने को नुकसान पहुंचाने वाले ऐसे प्रयास न हों।
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