औषधालय में प्रसूताओ को नहीं मिल रहा पथ्य,नहीं करते मरीजों को भर्ती,दवाओं की कमी, मरीजों का औषधालय से मोह भंग (फोटो)
राजकीय आयुर्वेद औषधालय का मामला-गंगापुर सिटी
गंगापुर सिटी का राजकीय आयुर्वेद औषालय अ श्रेणियों का होने के बाद भी मरीजों को समय पर दवाईयों की मार झेलनी पड़ रही है। यही नहीं औषधालय में आने वाली गर्मवती महिलाओं को मिलने वाला पथ्य भी लगभग चार माह से उन्हें नसीब भी नहीं हो पा रहा है। जिससे गर्मवतीयों महिलाओं को आयुर्वेद पद्धति से उपचार कराने वालों को बाजार से मंहगी दामों में दवा खरीदनी पड़ रही है। मांग के अनुरुप दवाइयां नहीं मिलने से वर्षभर स्थिति यही रहती है।इसके अलावा गंभीर बीमारी के रोगियों को यहां औषधालय में भर्ती नहीं किया जाता है। जिससे इनडोर में ताला लगा रहता है। जबकिे राज्य सरकार के आदेश है कि अ श्रेणियों के औषधालयों में इनडोर चालू रहना चाहिए। लेकिन पिछले कइ्र सालों से यहां एक भी मरीज को भर्ती नहीं किया गया है।
क्या है पथ्य
औषधालय में आंचल प्रसूता केन्द्र स्थापित है। इस केन्द्र पर आने वाली प्रत्येक प्रसूताओं को पथ्य दिया जाता है। पथ्य दो प्रकार के होते है। पहला पथ गर्मवर्ती महिलाओं को एक किलो दलिया, 500 ग्राम मंूग की दाल, 100 ग्राम धी सरस,500 ग्राम गुड दिया जाता है। जबकि पथ्य नंबर दो में दलीया एक किलो, मूंग की दाल 500 ग्राम, धी 100 ग्राम, गुड 500ग्राम, सोट 50 ग्राम, गोद 100 ग्राम, अजवान 50ग्राम, धीया सुपारी50 ग्राम,शहद 50 ग्राम, मुनका 100, धनिया50ग्राम, हल्दी 50 व धी250 ग्राम मिलने का प्रावधान है। लेकिन अब इस वर्ष से प्रसूताओं को नहीं मिल पा रहा है। जिससे अब प्रसूताओं का औषधालय से मोह भंग हो रहा है। जबकि पथ्य का औषधालय में 85 हजार रुपए का प्रति साल का वजट आता है। जबकि औषधि आंचल का एक लाख 90 हजार का वजट आता है। लेकिन इस वर्ष पथ्य का वजट नहीं आने से महिलाओं को परेशानी उठानी पड़ रही है। महिला मरीजों ने बताया कि जब प्रसूताओं को पथ्य नहीं मिलेगा तो औषधालय में आकर भी क्या करेगे। जबकि पथ्य की कमी को लेकर विभाग के चिकित्सकों ने पत्र लिखकर पथ्य भेजने की मांग कर चुके है। लेकिन उच्चधिकारियों इस ओर ध्यान नहीं देने से औषधालय में मरीजों की संख्या में कमी आ रही है।
दवा आउटडोर में कमी
आयुर्वेद औषालय में मरीजों को पूरी दवा नहीं मिलने से उन्हें परेशानी हो रही है्र। शहर में मौसमी बीमारियों के चलते दवा की कमी रोगियों को काफी खल रही है। सभी दवाइयां नहीं मिलने से औषाधालय के आउटडोर में भी कमी आई है। पहले जहां करीब सौ रोगियों पहुंच रहे थे अब मात्र 35 से 45 ही मरीज आ रहे है।कई रोगियों को बाजार की दवाएं लिखी जा रही है।
भरतपुर से मिलती है दवा:
आयुर्वेद चिकित्सकों का कहना है कि पहले हर जिले में दवा का एक डिपो था और औषधालयों को सीधे जिले रसायन शालाओं के डिपो से आसानी से दवा उपलब्ध हो जाती। वर्तमान में जिला स्तर पूर्व में बने रसायन शालाओं के डिपों को सरकार ने बंद कर दिया और अब इसका डिपो भरतपुर मुख्यालय कर दिया जिसके कारण औषधी मिलने में काफी परेशानी होती हैऔर समय भी अधिक लगता है।
बजट भी कम:
औषधालय में 2019-20 में 85 हजार 805 रुपए की दवा का वजट आया था। जबकि इस वर्ष 2020-21 में एक लाख 27 हजार 118 रुपए का वजट दवाओं के लिए आया था। इसके बाद भी कई दवाओं की कमी के कारण मरीजों को परेशानी उठानी पड़ रही है।जबकि रोगियों के आउटडोर को देखते हुए हर वर्ष 2 लाख रुपए की दवा की औषधालय में आवश्यकता है।
इन दवाओं का अभाव:
आयुर्वेद औषधालय में रक्तवधन औषधि, वमन रोकने वाली औषधि,प्रसंग के बाद दी जाने वाली प्रमुख 10 मल्याकरिस्ट, पांचक औचस,यकृति, सीरप,लीमोनी का अभाव,त्रिफला,हिंद बास्तव अनियतिदरका&ठ्ठड्ढह्यश्च; चूरन, दशमूलका सहित अन्य का अभाव है।
इनका कहना
गंगापुर सिटी के राजकीय औषधालय में प्रसूताओं के लिए मिलने वाला पथ्य फरवरी 2020 से वजट नहीं आने के कारण प्रसूताओं को नहीं मिल पा रहा था। अब 10 हजार का पथ्य के लिए वजट मिल गया है। जल्दी ही प्रसूताओं को पथ्य दिया जाएगा। इसके अलावा गंगापुर औषधालय में जगह की कमी के कारण मरीजों को भर्ती नहीं किया जा रहा है। लेकिन राज्य सरकार के आदेश आ जाने से अब औषधालय में मरीजों को भर्ती किया जाएगा।कैलाश चंद शर्मा उप निदेशक आयुवैर्दिक सवाई माधोपुर ।