इतनी सर्दी में कैसे टूटा ग्लेशियर? DRDO जुटा रहा है जानकारी, ISRO से भी मांगी गई मदद
आखिर इतनी ठंड में उत्तराखंड में ग्लेशियर कैसे टूटा इसे लेकर कई विशेषज्ञ भी हैरान हैं. इस हाड़ कंपा देने वाली ठंड में ग्लेशियर का टूटने को लेकर रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन जानकारी जुटाने में लगा हुआ है. इसरो से भी इसे लेकर जानकारी मांगी गई है. दरअसल, उत्तराखंड के चमोली में आए इस भीषण आपदा में अब तक 26 लोगों की जान जा चुकी है जिनमे से 2 लोगों की पहचान हुई बाकियों की पहचान जारी है. एक टनल में अभी भी कई लोग फंसे हुए हैं.
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने राज्य के बाढ़ प्रभावित चमोली और आसपास के इलाकों में जारी राहत अभियानों के बीच आज कहा कि पूरी घटना की व्यापक जांच की जा रही है ताकि भविष्य में ऐसी त्रासदियों से बचा जा सके.
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री ने कहा कि इस समय सबसे पहली प्राथमिकता प्रभावित लोगों को भोजन और अन्य सहायता मुहैया कराना है. रावत ने पीटीआई-भाषा को दिये साक्षात्कार में कहा, ऐसा प्रतीत होता है कि घटना ग्लेशियर के टूटने से हुई. मुख्य सचिव को वास्तविक कारणों का पता लगाने का निर्देश दिया गया है. सीएम रावत ने कहा, डीआरडीओ की एक टीम इस त्रासदी का कारण पता लगाने में जुटी है. हमने इसके लिए इसरो के वैज्ञानिकों और विशेषज्ञों से भी मदद मांगी है.
रावत ने कहा कि इस घटना के कारणों का पता लगाने के लिए चल रहे व्यापक विश्लेषण के बाद, हम भविष्य में ऐसी किसी भी संभावित त्रासदी से बचने के लिए एक योजना बनाएंगे. राहत कार्यों के बारे में पूछे जाने पर रावत ने कहा कि वे पूरी शिद्दत से चल रहे हैं. उन्होंने कहा, हमने बचाव और राहत अभियान के लिए सभी आवश्यक प्रबंध किये हैं. साथ ही साथ प्रभावित लोगों को स्वास्थ्य सुविधाएं भी प्रदान की जा रही हैं. सबसे महत्वपूर्ण, हम प्रभावित गांवों के बीच दोबारा संपर्क स्थापित करने का काम कर रहे हैं.
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