योगी सरकार 1984 के सिख दंगा पीड़ितों के इंसाफ को बढ़ी आगे, 54 आरोपी चिन्हित, होगी कार्यवाही
वर्ष 1984 में दंगों की आग में देश के साथ ही उत्तर प्रदेश का कानपुर भी खूब झुलसा था. यहां पर सरकारी रिकॉर्ड के मुताबिक 127 लोगों की हत्या हुईं और सैकड़ों लोग घायल हुए. दंगों में कई लोगों ने अपना सब कुछ खो दिया. 1984 से दंगाइयों पर कार्रवाई के इंतजार में न जाने कितने लोग दुनिया छोड़ गए तो कइयों ने इंसाफ की उम्मीद छोड़ दी. वहीं, कानपुर में अब सिख दंगों के मामले में 11 मामलों में चार्जशीट लगायी जा रही है. जिसके चलते 54 आरोपियों पर कार्रवाई की तलवार लटक रही है. इन सभी आरोपियों का सत्यापन भी हो चुका है.
कानपुर के गोविन्द नगर, बर्रा, फजलगंज और अर्मापुर थाना क्षेत्रों में रहने वाले सिक्खों का कत्लेआम हुआ. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक इन दंगों में 127 लोगों की हत्या हुई और सैकड़ों लोग घायल हुए. उस समय हत्यायुक्त डकैती के 40 मामले दर्ज किए गए थे जिसके बाद दंगों का दर्द झेलने वाले सिक्ख समुदाय के लोगों में इंसाफ की आस जगी थी. सरकारें बदलती गयीं लेकिन लोगों को इंसाफ नहीं मिल सका.
दंगा पीड़ितो को इंसाफ दिलाने के लिए योगी सरकार ने 2019 में एक एसआईटी का गठन किया. एसआईटी ने 20 ऐसे मामलों की जांच की जिनमें फाइनल रिपोर्ट लगा दी गयी थी. यह 20 केस हत्या औऱ डकैती से सम्बंधित थे. एसआईटी ने 11 मुकदमों की जांच पूरी कर ली है, 9 केस बंद कर दिए गए हैं. जिन केसों की जांच पूरी की गई उसमें के 54 आरोपियों पर गिरफ्तारी की तलवार लटकने लगी है.
सीओ एसआईटी सुरेन्द्र यादव ने बताया कि ये 11 केस शहर के अलग-अलग थानों गोविंद नगर, बर्रा, फजलगंज, नौबस्ता व अर्मापुर से संबंधित हैं. इसमें कुल 67 आरोपियों का सत्यापन किया गया था. जिनमें से 13 की मौत हो चुकी है. इस हिसाब से 54 आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए मंजूरी मांगी गई है. एसआईटी ने सिख विरोधी दंगों की जांच सौंपी गयी तो यह काम आसान नही था.
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