Uttar Pradesh : उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी हारी तो अखिलेश यादव के नेतृत्व में क्रांति होगी? अखिलेश के इस बयान का मतलब देशवासियों को समझना चाहिए।

Uttar Pradesh : उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी हारी तो अखिलेश यादव के नेतृत्व में क्रांति होगी?

अखिलेश के इस बयान का मतलब देशवासियों को समझना चाहिए।

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उत्तर प्रदेश सहित पांच राज्यों के चुनाव परिणाम दस मार्च को आ जाएंगे। लेकिन इससे पहले 8 मार्च को लखनऊ में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने कहा कि यह लोकतंत्र की आखिरी लड़ाई है। इसके बाद तो क्रांति करनी पड़ेगी। क्रांति करनी पड़ेगी कथन का मतलब समझने से पहले यह लिखना जायज प्रतीत होता है कि यदि यूपी चुनाव में सपा की जीत नजर आती तो अखिलेश ऐसा बयान नहीं देते। सब जानते हैं कि क्रांति उन देशों में होती है, जहां लोकतंत्र नहीं है। सेना या तानाशाह शासक बंदूक के दम पर वर्षों तक राज करते रहते हैं। जनता को सरकार चुनने का अधिकार नहीं होता है। ऐसी स्थिति हम पड़ोसी देश चीन में देखते हैं तथा भारत से अलग हुए पाकिस्तान में भी अक्सर पाकिस्तान की सेना मुल्क पर कब्जा कर लेती है। लेकिन भारत दुनिया के उन चुनिंदा देशों में शामिल हैं, जहां लोकतंत्र कायम है। गांव के सरपंच से लेकर प्रदेश के मुख्यमंत्री और देश के प्रधानमंत्री तक का चुनाव लोकतांत्रिक प्रणाली से होता है। गांव की जनता जिसे चाहती है, वही सरपंच बनता है। इसी प्रकार प्रदेश और देश की जनता के वोट से ही मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री का चयन होता है। यदि उत्तर प्रदेश की जनता ने चाहा होगा तो समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार जीतेंगे तथा अखिलेश यादव मुख्यमंत्री बनेंगे। लेकिन यदि जनता के सपा के उम्मीदवारों को नहीं जिताया तो फिर अखिलेश यादव मुख्यमंत्री नहीं बन सकेंगे। अब अखिलेश का कहना है कि उत्तर प्रदेश का यह चुनाव लोकतंत्र की आखिरी लड़ाई है, इसके बाद क्रांति करनी पड़ेगी। यानी अखिलेश मुख्यमंत्री नहीं बनते हैं तो फिर क्रांति होगी। लोकतांत्रिक व्यवस्था में क्रांति का क्या स्वरूप होगा, यह अखिलेश ही बता सकते हैं। लेकिन अखिलेश के इस बयान का मतलब देशवासियों को समझना चाहिए। सब जानते हैं कि अखिलेश और उनकी समाजवादी पार्टी कौन कौन से तौर तरीके के जरिए चुनाव लड़ा। पाकिस्तान के जो नेता देश के विभाजन के लिए जिम्मेदार रहे, उन तक का समर्थन किया गया। वोटों के ध्रुवीकरण के लिए जो कुछ भी किया जा सकता था, वो अखिलेश और सपा ने किया। अच्छा हो कि अखिलेश ऐसा कोई बयान नहीं दे जिसकी वजह से कुछ लोक उकसावे में आ जाएं। यह सही है कि नरेंद्र मोदी, अमित शाह और योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली भाजपा से अखिलेश ने जोरदार टक्कर ली है। अखिलेश ने जो माहौल बनाया, उसमें भाजपा की जीत भी आसान नहीं मानी जा रही है। अखिलेश ने अपनी रणनीति से यूपी चुनाव को भाजपा और सपा के सीधे मुकाबले में ला दिया है। 50 वर्ष तक देश पर शासन करने वाली कांग्रेस पार्टी सूखे पत्तों की तरह उड़ गई। साइकिल ने हाथी को भी बाहर का रास्ता दिखा दिया।