Ajmer: अजमेर संसदीय क्षेत्र से चौंकाने वाले नाम के लिए भाजपा में रास्ता साफ हो रहा है।
Ajmer: अजमेर संसदीय क्षेत्र से चौंकाने वाले नाम के लिए भाजपा में रास्ता साफ हो रहा है।

Ajmer: अजमेर संसदीय क्षेत्र से चौंकाने वाले नाम के लिए भाजपा में रास्ता साफ हो रहा है।

Ajmer: अजमेर संसदीय क्षेत्र से चौंकाने वाले नाम के लिए भाजपा में रास्ता साफ हो रहा है।
सतीश पूनिया को हरियाणा का चुनाव प्रभारी बनाए जाने से दावेदारों में फिर आस जगी। मौजूदा सांसद भागीरथ चौधरी से लेकर झुनझुनवाला तक सक्रिय।
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अजमेर संसदीय क्षेत्र राजस्थान के उन दस क्षेत्रों में शामिल है, जहां भाजपा में अभी तक भी उम्मीदवारों की घोषणा नहीं की है। अब तक अजमेर से भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया को सबसे मजबूत दावेदार माना जा रहा था। पूनिया के राजनीतिक कद को देखते हुए कई स्थानीय दावेदार पीछे हट गए थे। लेकिन 21 मार्च को अचानक पूनिया को हरियाणा का चुनाव प्रभारी घोषित कर दिया गया। स्वाभाविक है कि अब पूनिया हरियाणा में व्यस्त रहेंगे। पूनिया को भाजपा का अनुशासित कार्यकर्ता माना जाता है। इसलिए कहा जा रहा है कि अचानक हुई इस नियुक्ति का कोई विरोध नहीं करे। प्रभारी बनने से पूनिया का अजमेर से दावा खत्म सा हो गया है। इससे पहले एक और मजबूत दावेदार ओम प्रकाश भडाना को एक साथ दो पद दिए गए। भडाना को एक सप्ताह की अवधि में भाजपा का प्रदेश महामंत्री तथा फिर देवनारायण बोर्ड का अध्यक्ष बनाकर संतुष्ट किया गया। अब भडाना भी लोकसभा चुनाव में दावेदारी से पीछे हट गए है। कहा जा रहा है कि भाजपा का राष्ट्रीय नेतृत्व अजमेर में चौंकाने वाला नाम देगा। इसलिए मजबूत दावेदारों को हटाकर रास्ता साफ किया जा रहा है। अलबत्ता पूनिया के हटने से अजमेर में स्थानीय नेताओं में एक बार फिर उम्मीद जगी है। हाल ही में भाजपा में शामिल हुए और 2019 में कांग्रेस उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ने वाले भीलवाड़ा के उद्योगपति रिजु झुनझुनवाला भी सक्रिय हो गए हैं।
माना जा रहा है कि झुनझुनवाला के तार सीधे राष्ट्रीय नेताओं से जुड़े हुए हैं। मौजूदा सांसद भागीरथ चौधरी को भी उम्मीद जग गई है। हाल ही में विधानसभा चुनाव हारने के बाद चौधरी निराश थे। लेकिन उन्होंने पार्टी में अपनी सक्रियता बनाए रखी। अब जब पूनिया को हरियाणा का प्रभारी बना दिया गया है, तो चौधरी के समर्थक भी उत्साहित हैं। समर्थकों का कहना है कि चौधरी भले ही किशनगढ़ से विधानसभा का चुनाव हार गए हो,लेकिन उन्होंने पिछली बार चार लाख मतों से लोकसभा का चुनाव जीता था। चौधरी पांच वर्ष तक संसदीय क्षेत्र में सक्रिय रहे। चौधरी की संसद में रिकॉर्ड उपस्थिति रही है। चौधरी के साथ साथ भाजपा के मौजूदा देहात अध्यक्ष देवीशंकर भूतड़ा, पूर्व जिला प्रमुख सरिता गैना, पूर्व जिलाध्यक्ष बीपी सारस्वत, दूदू के पूर्व प्रधान रामेश्वर कड़वा आदि ही बदली हुई परिस्थितियों में सक्रिय हो गए हैं।
कई दावेदार तो दिल्ली में ही डेरा जमाए हुए है। वहीं जानकार सूत्रों का कहना है कि अजमेर से चौंकाने वाला नाम सामने आएगा। जिन संसदीय क्षेत्रों में घोषणा होनी है उनके नाम तय है। राष्ट्रीय नेतृत्व को सिर्फ सूची जारी करनी है। राजस्थान की कोर कमेटी के सदस्यों की राय राष्ट्रीय नेतृत्व ने जान ली है। उम्मीदवारों के चयन में इस बार उपमुख्यमंत्री दीया कुमारी की राय को ज्यादा प्राथमिकता दी गई है। सतीश पूनिया को हरियाणा का प्रभारी बनाए जाने से अजमेर ही नहीं प्रदेश की राजनीति के समीकरण भी बदल गए है। कहा जा रहा है कि अब राजेंद्र राठौड़ को भी लोकसभा चुनाव में उम्मीदवार नहीं बनाया जाएगा। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि 21 मार्च को ही भाजपा के वरिष्ठ नेता विनय सहस्त्रबुद्धे को राजस्थान का चुनाव प्रभारी बनाया गया है। कहा जा रहा है कि अब सहस्त्रबुद्धे द्वारा बनाई गई रणनीति पर ही राजस्थान में भाजपा चुनाव लड़ेगी।
Report By S.P.MITTAL