तो अब चंबल नदी के पानी से भरेगा हिंदुओं की आस्था वाला पवित्र पुष्कर सरोवर।
तो अब चंबल नदी के पानी से भरेगा हिंदुओं की आस्था वाला पवित्र पुष्कर सरोवर।

तो अब चंबल नदी के पानी से भरेगा हिंदुओं की आस्था वाला पवित्र पुष्कर सरोवर।

तो अब चंबल नदी के पानी से भरेगा हिंदुओं की आस्था वाला पवित्र पुष्कर सरोवर।
कैबिनेट मंत्री सुरेश रावत के प्रयास सफल। अब सरोवर में गंदा पानी गिरना भी बंद होना चाहिए।
पुष्कर में अयोध्या के राम मंदिर का प्रसाद वितरित हुआ। स्वामी डॉ. रामेश्वरानंद ने सुनए संस्मरण।
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देश दुनिया में पुष्कर तीर्थ का महत्व इसलिए है कि यहां सृष्टि के रचयिता ब्रह्मा जी ने यज्ञ किया था। यज्ञ वाले स्थान पर ही पवित्र सरोवर बना है। इस सरोवर के कारण ही पुष्कर को तीर्थ गुरु का दर्जा प्राप्त है। पुष्कर की पहचान और धार्मिक महत्व पवित्र सरोवर ही है, लेकिन इसे दुर्भाग्यपूर्ण कहा जाएगा कि गर्मी के दिनों में पुष्कर सरोवर सूख जाता है। घाटों के किनारे कुंड बनाकर ट्यूबवैल के जरिए पानी भरा जाता है ताकि श्रद्धालु इन कुंडों में सनातन धर्म की मान्यताओं के अनुसार जल का आचमन और सरोवर की पूजा अर्चना कर सके। कांग्रेस और भाजपा सरकार के प्रयासों के बाद भी सरोवर में पानी की समस्या का समाधान नहीं हुआ। लेकिन अब 28 जनवरी को पार्वती, कालीसिंध, चंबल नदियों को जोड़ने को लेकर राजस्थान और मध्यप्रदेश के बीच जो समझौता हुआ है, उससे पुष्कर सरोवर के पानी की समस्या का समाधान भी हो जाएगा। पुष्कर के विधायक और कैबिनेट मंत्री सुरेश रावत ने कहा कि उन्होंने प्रोजेक्ट में पुष्कर तीर्थ को भी शामिल करवाया है। अब जब चंबल नदी का पानी पुष्कर आएगा तब सरोवर में भी पानी की समस्या नहीं रहेगी। गर्मी के दिनों में चंबल के पानी से सरोवर को भरा जाएगा। यदि चंबल का पानी सरोवर में आता है तो इससे श्रद्धालुओं को भी राहत मिलेगी। इसमें कोई दो राय नहीं कि इससे पुष्कर का धार्मिक महत्व भी बना रहेगा। मान्यता है कि सरोवर में स्नान करने से सभी कष्ट दूर हो जाते हैं। पुष्कर सरोवर की दूसरी सबसे बड़ी समस्या सरोवर में गंदा पानी गिरने की है। बरसात के दिनों में तो सरोवर में गंदा पानी गिरता ही है, लेकिन जब सीवरेज लाइन जाम हो जाती है तो सीवरेज का पानी भी सरोवर में समा जाता है। सीवरेज लाइन सरोवर के चारों तरफ बिछी हुई है। पुष्कर में जब सीवरेज लाइन बिछाई गई, तब किसी भी इंजीनियर ने यह नहीं सोचा कि लाइन जाम होने से गंदा पानी कहां जाएगा। चूंकि ढलान सरोवर की ओर ही है, इसलिए चैम्बरों से निकलने वाला सीवरेज का पानी भी सरोवर में जाता हैै। अंदाजा लगाया जा सकता है कि जब गंदा पानी सरोवर में जाता है, तब श्रद्धालुओं की धार्मिक भावनाएं कितनी आहत होती हैं। गंदे पानी को रोकने के लिए बहुत वादे किए गए, लेकिन आज तक भी सफलता नहीं मिली है। अब पुष्कर के विधायक और कैबिनेट मंत्री सुरेश रावत ने कहा कि जिस प्रकार चंबल के पानी को सरोवर में लाया जा रहा है, उसी प्रकार सीवरेज अथवा गंदे पानी को सरोवर में गिरने से रोका जाएगा। उन्होंने कहा कि वह अपने मंत्री पद की पूरी ताकत लगा कर सरोवर को गंदे पानी से बचाएंगे।
अयोध्या का प्रसाद पुष्कर में:
28 जनवरी को पुष्कर के निर्मल आश्रम में एक धार्मिक आयोजन हुआ। आश्रम की प्रबंध समिति के सदस्यों ने आश्रम के महंत स्वामी डॉ. रामेश्वरानंद का जोरदार सम्मान किया। डॉ. रामेश्वरानंद उन साधु महंतों में शामिल रहे, जिन्हें 22 जनवरी को अयोध्या में हुए प्राण प्रतिष्ठा समारोह में आमंत्रित किया गया था। स्वामी जी ने कहा कि मैं तो राम मंदिर का प्रसाद लनेे के लिए अयोध्या गया, लेकिन आज जो लोग यहां आए है, उनके लिए मंदिर का प्रसाद अयोध्या से चलकर पुष्कर आया है। स्वामी जी अपने साथ अयोध्या से जो प्रसाद लाए उसे आश्रम में तैयार हुए प्रसाद में मिलाकर श्रद्धालुओं को वितरित किया गया। इस अवसर पर स्वामी जी ने अयोध्या यात्रा के संस्मरण सुनाते हुए कहा कि अयोध्या में मंदिर निर्माण हर सनातनी के लिए स्वाभिमान की बात है। भगवान राम के जन्म स्थल पर ही मंदिर बने इसके लिए लाखों लोगों ने बलिदान दिया। लेकिन मंदिर बनाने का श्रेय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ को जाता है। स्वामी जी ने स्पष्ट तौर पर कहा कि जिस विचारधारा ने मंदिर का निर्माण करवाया है उसे भारत में मजबूती मिलनी चाहिए, क्योंकि अभी मथुरा और काशी बाकी है। इस अवसर पर समाजसेवी सुभाष काबरा, हरनारायण छाबड़ा, अजय पाल चौधरी, सुभाष सोनी, डॉ. संतनु तेला, हितेश मेहता, सत्यनारायण भंसाली, मुकेश सोनी, नीतिश मेहता, जगदीश कुर्डिया, राकेश भट्ट, विनोद डीडवानिया, रमेश काबरा, श्रीमती गीता नवाल आदि उपस्थित रहे। अयोध्या दौरे के संस्मरणों के बारे में और अधिक जानकारी मोबाइल नंबर 9414366010 पर डॉ. रामेश्वरानंद से ली जा सकती है।
S.P.MITTAL