चार दिन बाद पहुंचे कलेक्टर -एसपी:
अपराध से जुड़े गंभीर मामलों में अशोक गहलोत के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार कितनी गंभीर है, इसका अंदाजा हनुमानगढ़ जिले के पीलीबंगा के गांव प्रेमपुरा में एक दलित युवक को पीट पीट कर हत्या करने से लगाया जा सकता है। दलित युवक जगदीश की हत्या 7 अक्टूबर को की गई, परिजन शव को लेकर 9 अक्टूबर तक धरना देते रहे, लेकिन मॉल लिंचिंग से जुड़े इस मामले की सुध लेने के लिए कलेक्टर और एसपी नहीं आए। 9 अक्टूबर को जब अंतिम संस्कार हो गया तो सिर्फ फोटो खींचने के लिए कलेक्टर नथमल डिडेल और एसपी प्रीति जैन मृतक के परिजनों से मिलने आए। सवाल उठता है कि मॉब लिंचिंग की इतनी गंभीर घटना के तुरंत बाद कलेक्टर-एसपी पीड़ित परिवार से मिलने क्यों नहीं आए? क्या प्रशासन और सरकार की नजर में एक दलित युवक की मॉब लिंचिंग का मामला साधारण है? राजस्थान में कानून व्यवस्था की ऐसी स्थिति तब है, जब गृह विभाग मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के पास है। असल में गहलोत के पास 1 5 से भी ज्यादा मंत्रालयों के 35 विधायकों का काम है। ऐसे में गृह विभाग की प्रभावी निगरानी नहीं होती है। मुख्यमंत्री बनने के बाद से ही गहलोत ने गृह और वित्त जैसे महत्वपूर्ण मंत्रालय अपने पास ही रखे हैं। गत तीन वर्ष की अवधि में हटाए गए तीन मंत्रियों के दस विभागों का काम भी मुख्यमंत्री के पास ही है। इतना ही नहीं जिन एक दो मंत्रियों का निधन हुआ, उनका प्रभार भी मुख्यमंत्री ने अपने पास रख लिया। मंत्रिमंडल का विस्तार या फेरबदल भी अशोक गहलोत की मर्जी पर निर्भर करता है।