Kota: आज से ठीक सात साल पहले कोटा के आखिरी बड़े उद्योग आईएल ने तोड़ा था दम
Kota: आज से ठीक सात साल पहले कोटा के आखिरी बड़े उद्योग आईएल ने तोड़ा था दम

Kota: आज से ठीक सात साल पहले कोटा के आखिरी बड़े उद्योग आईएल ने तोड़ा था दम

Kota: आज से ठीक सात साल पहले कोटा के आखिरी बड़े उद्योग आईएल ने तोड़ा था दम

कोटा। मौसम चुनावी है। विभिन्न राजनीतिक पार्टियां एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगा रहा हैं। बेराजगारी और उद्योग धंधों का मुद्दा लगातार उछाला जा रहा है। ऐसे में कभी औद्योगिक नगरी रह चुका कोटा में बंद हो चुके उद्योगों की चर्चा भी जरुरी है।
गौरतलब है कि आज से ठीक सात साल पहले 18 अप्रेल को कोटा के आखिरी बड़े उद्योग इंट्रूमेंटेशन लिमिटेड (आईएल) ने भी दम तोड़ दिया था। मौके को देखकर लग ही नहीं रहा कि यहां पर कभी बड़ा उद्योग भी लगा हुआ था। यहां बड़े भवनों में अब व्यवसायिक गतिविधियां शुरु हो चुकी हैं। कर्मचारियों की कॉलोनी में ऑक्सिजोन पार्क बन चुका है। इससे पहले पिछले करीब 20 सालों में कोटा में छोटे-बडे 300 उद्योग दम तोड़ चुके हैं। इस दौरान केंद्र और राज्य में विभिन्न दलों की सरकारें रह चुकी हैं। लगातार उद्योग बंद होने के लिए दोनों ही प्रमुख पार्टी एक-दूसरे को जिम्मेदार ठहराती हैं।
भुगत रही जनता
उद्योग धंधे बंद होने के कारण चाहे जो भी रहे हों। पार्टी कोई भी जिम्मेदार रही हो लेकिन इसका खामियाजा अगर कोई भुगत रहा है तो वह है जनता। चुनाव के समय अब जनता की बारी है कि वह ध्यान भटकाने वाले मुद्दों से हटकर नेताओं से ठोस धरातल पर किए जाने वाले कामों का जवाब मांगे। इसी आधार पर अपने बहुमूल्य वोट का इस्तेमाल करे।
सरकार को था चलाने का प्रस्ताव
बंद करने से पहले केंद्र सरकार ने केरल स्थित पलक्कड यूनिट की तरह राजस्थान की तात्कालिन सरकार को आईएल को चलाने का प्रस्ताव दिया था। लेकिन सरकार ने आईएल को चलाने में कोई रुचि नहीं दिखाई। इससे पहले दिसंबर 2015 और मई 2016 में भी आईएल प्रबंधकों की सरकार के साथ बैठकें हुई थीं। लेकिन इसका भी कोई नतीजा नहीं निकला। आखिरकार आईएल को बंद करने का निर्णय लेना पड़ा।
मांगे थे 100 करोड़
आईएल को चलाने के प्रबंधकों ने केंद्र सरकार से 100 करोड़ रुपए की मांग की थी। तत्कालिन सीएमडी एमपी ईश्वर ने केंद्र सरकार को एक प्रजेंटेशन देकर कहा था कि आईएल की स्थिति बंद होने जैसी नहीं है। ईश्वर ने सरकार के सामने बिजनेस स्ट्रेटजी रखते हुए कहा था कि अब हम होलोग्राम सेक्टर में जा रहे हैं। इसके लिए कई विदेश कंपनियों से एमओयू हो चुका है और होलोग्राम भी लग चुका। इसके लिए ईश्वर ने सरकार से दो किश्तों में 50-50 करोड़ रुपए की मांग की थी। लेकिन सरकार ने इस पर गौर नहीं किया। इसके अलावा आईएल के कर्मचारी भी फैक्ट्री चलाने को तैयार थे। कर्मचारी संगठनों ने भी इसके लिए सरकार को सुझाव भी भेजे थे। लेकिन सरकार ने स्वेछिक सेवानिवृत्ति लेने पर कर्मचारियों को कुल 438 करोड़ रुपए पैकेज ेदेने की घोषणा कर फैक्टी बंद करने का रास्ता साफ कर दिया। हालांकि इसके बाद भी कर्मचारियों का सरकार पर करीब 700 करोड़ रुपए बाकी रहा।
1992 में होने लगा था घाटा
फैक्ट्री पहली बार 1992 में घाटे में आई थी। बाद में यह घाटा बढ़कर 700 करोड़ तक पहुंच गया। सरकार ने जनवरी 2009 को आईएल को 653 करोड़ का पैकेज दिया था। लेकिन इसमें से आईएल को सिर्फ 45 करोड़ मिले। शेष राशि देनदारों को दे दी।
दो स्कूल भी बंद
आईएल टाउनशिप में हिंदी और अंग्रेजी माघ्यम के दो स्कूल थे। सीबीएसी पेटर्न के इन स्कूलों में करीब ढाई हजार बच्चे पढ़ते थे। करीब 65 अध्यापक बच्चों को पढ़ाते थे। यहां से निकले कई बच्चें इंजीनियर और डॉक्टर सहित ऊंचे पदों तक भी पहुंचे हैं।