लोकतंत्र की दुहाई देने वाले सड़कों पर हिंसा करने के बजाए अदालत में स्वयं को निर्दोष साबित करे।

लोकतंत्र की दुहाई देने वाला मुस्लिम संगठन पीएफआई अब देश के संविधान पर भरोसा क्यों नहीं करता?

सड़कों पर हिंसा करने के बजाए अदालत में स्वयं को निर्दोष साबित करे।

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23 सितंबर को मुस्लिम संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) के कार्यकर्ताओं के केरल और अन्य राज्यों में विरोध प्रदर्शन किया। केरल में तो यह प्रदर्शन हिंसा में बदल गया। हिंसा में पेट्रोल बम तक का इस्तेमाल किया गया। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने 22 सितंबर को छापामार कार्यवाही करते हुए देश के 15 राज्यों में करीब 100 पीएफआई कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया। पीएफआई पर आरोप है कि विदेशों से पैसा लेकर भारत में गैर कानूनी गतिविधियां की जा रही है। पीएफआई पर आतंक फैलाने का आरोप भी है। पीएफआई के पदाधिकारियों का कहना है कि भारत एक लोकतांत्रिक देश है और हम लोकतांत्रिक व्यवस्था में रहकर ही संगठन की गतिविधियों का संचालन करते हैं।
सवाल उठता है कि लोकतंत्र की दुहाई देने वाला पीएफआई भारत के संविधान पर भरोसा क्यों नहीं करता। यदि पुलिस ने किसी निर्दोष व्यक्ति को गिरफ्तार किया है तो उसे अदालत में स्वयं को निर्दोष साबित करने का अधिकार है। इस संवैधानिक प्रक्रिया को अपनाने के बजाए पीएफआई के कार्यकर्ता सड़कों पर हिंसा कर रहे हैं। एनआईए के पास इस बात के सबूत है कि पीएफआई को जो फंडिंग हो रही है उससे देश में अराजकता का माहौल बनाया जा रहा है। जांच एजेंसियों का यह आरोप गलत है तो पीएफआई को अदालत में कानूनी लड़ाई लड़नी चाहिए। पिछले दिनों देखा गया कि छोटी छोटी घटनाओं पर विरोध को लेकर समुदाय विशेष की भीड़ एकत्रित हो गई। सिर तन से जुदा अभियान में भी पीएफआई की सक्रिय भूमिका देखने को मिली है। एक ओर लोकतंत्र की दुहाई दी जाती है तो दूसरी ओर धार्मिक स्थलों से सिर तन से जुदा के नारे लगाए जाते हैं।
जांच एजेंसियों की मानें तो पीएफआई के तार पाकिस्तान में बैठे कई कट्टरपंथी संगठन से जुड़े हुए हैं। पीएफआई के पदाधिकारियों का दावा है कि उनका संगठन जरूरतमंद मुसलमानों के लिए काम करता है। सवाल यह भी है कि जो संगठन समाज सेवा के काम में सक्रिय है उसके कार्यकर्ताओं पर आतंक फैलाने के आरोप क्यों लग रहे हैं। पूर्व में भी सिमी जैसे मुस्लिम संगठनों पर बेन गाया गया था। जांच एजेंसियों का कहना है कि सिमी के पदाधिकारी ही सक्रिय है।
पीएफआई के पदाधिकारी अपने बचाव में कुछ भी कहे, लेकिन उन्हें यह समझना चाहिए कि दुनिया के किसी भी मुस्लिम देश से ज्यादा सुरक्षित मुसलमान भारत में ही हैं। भारत में हिन्दू बाहुल्य कालोनियों में किसी भी मुस्लिम परिवार को कोई भय और डर नहीं है। इसके विपरीत कश्मीर में मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्रों में हिन्दुओं को टारगेट कर हत्या की जा रही है। सरकार की सभी कल्याणकारी योजनाओं का लाभ भी मुस्लिम परिवारों को मिल रहे हैं। ऐसे माहौल में यदि पीएफआई जैसा संगठन मुसलमानों को गुमराह कर रहा है तो यह देशहित में नहीं है।