हिजाब पहनना जरूरी बता रहे हैं, वे मुस्लिम राष्ट्र ईरान की घटनाओं से सबक लें।

भारत में जो लोग मुस्लिम लड़कियों के लिए स्कूल-कॉलेजों में हिजाब पहनना जरूरी बता रहे हैं, वे मुस्लिम राष्ट्र ईरान की घटनाओं से सबक लें।
धर्मनिरपेक्ष भारत में मुस्लिम महिलाएं हिजाब और बुर्का पहनने के लिए स्वतंत्र हैं।
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भारत में कुछ लोग चाहते हैं कि मुस्लिम लड़कियों को स्कूल कॉलेजों की कक्षाओं में हिजाब पहनने की स्वतंत्रता मिले। ऐसी मांग तब की जा रही है, जब लाखों मुस्लिम लड़कियां ईसाई मिशनरीज और पब्लिक स्कूलों व कॉलेजों में पढ़ रही हैं। सब जानते हैं कि मिशनरीज शिक्षण संस्थान में ड्रेस कोड है। सभी मुस्लिम छात्राएं भी निर्धारित ड्रेस कोड का पालन करती है। किसी भी मुस्लिम अभिभावक ने मिशनरीज के ड्रेस कोड पर एतराज नहीं किया है। लेकिन इसके बावजूद भी कुछ लोग छात्राओं के हिजाब पहनने पर जोर दे रहे हैं। यहां तक की हिजाब की तुलना हिन्दू लड़कियों की साड़ी के पल्लू से की जा रही है। भारत एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र है। यहाँ हर व्यक्ति को अपने धर्म के अनुरूप रहने की स्वतंत्रता है। यदि कोई मुस्लिम महिला बुर्का या हिजाब पहन कर बाजार जाती है तो उस पर कोई प्रतिबंध नहीं है। यानी सरकार की ओर से बुर्का या हिजाब पहनने पर कोई रोक नहीं है।
भले ही कुछ देशों में महिलाओं के बुर्का पहनने पर रोक लगा दी हो, लेकिन भारत में मुस्लिम महिलाएं बुर्का पहन कर वोट भी देती हैं। जो लोग भारत में मुस्लिम छात्राओ के लिए कक्षा में हिजाब को जरूरी बता रहे हैं, उन्हें मुस्लिम राष्ट्र ईरान की ताजा घटनाओं से सबक लेना चाहिए। सब जानते हैं कि ईरान में कट्टरपंथी सरकार है, लेकिन इसके बाद भी ईरानी महिलाएं सार्वजनिक स्थलों पर प्रदर्शन कर हिजाब को उतार रही हैं। मुस्लिम महिलाओं के हिजाब विरोधी प्रदर्शनों के वीडियो भारतीय न्यूज़ चैनलों पर भी प्रसारित हो रहे हैं। इन वीडियो से जाहिर है कि ईरान की मुस्लिम महिलाएं हिजाब की बंदिशों से बाहर आना चाहती है।
यहां यह खास तौर से उल्लेखनीय है कि ईरान में महिलाओं के लिए हिजाब पहनना अनिवार्य है। सरकार की इस अनिवार्यता के बाद मुस्लिम महिलाएं हिजाब नहीं पहनना चाहती। सरकार की लाख कोशिशों के बाद भी ईरान में हिजाब विरोधी प्रदर्शन नहीं रुक रहे हैं। कई जगह तो पुलिस और प्रदर्शनकारी महिलाओं में झड़प हो रही है। भारत में कुछ लोग हिजाब का समर्थन में देशव्यापी अभियान चला रहे हैं। ऐसे लोगों को चाहिए कि पहले मुस्लिम लड़कियों को मिशनरी शिक्षण संस्थानों में पढ़ने से रोकें। ऐसा नहीं हो सकता कि अनेक मुस्लिम परिवारों की लड़कियों ड्रेस कोड का पालन कर मिशनरी शिक्षण संस्थानों में पढ़ें और सामान्य मुस्लिम परिवारों की लड़कियां सरकारी स्कूलों में हिजाब पहन कर पढ़ाई करें।