लोकतांत्रिक व्यवस्था में सनातन धर्म की रक्षा के लिए बिहार जैसे गठबंधन जरूरी।
लोकतांत्रिक व्यवस्था में सनातन धर्म की रक्षा के लिए बिहार जैसे गठबंधन जरूरी।

जब कांग्रेस मुस्लिम लीग, डीएमके जैसे दलों से गठबंधन कर सकती है तो भाजपा नीतीश कुमार के साथ क्यों नहीं?

लोकतांत्रिक व्यवस्था में सनातन धर्म की रक्षा के लिए बिहार जैसे गठबंधन जरूरी।
जब कांग्रेस मुस्लिम लीग, डीएमके जैसे दलों से गठबंधन कर सकती है तो भाजपा नीतीश कुमार के साथ क्यों नहीं?
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अयोध्या में भगवान राम का भव्य मंदिर इसलिए बन सका कि केंद्र में नरेंद्र मोदी और उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली सरकार हैं। मंदिर निर्माण में आने वाली बाधाओं को इन दोनों नेताओं ने हटाया। गत 22 जनवरी को देश भर में उमंग और उत्साह का माहौल देखने को मिला। कोई 800 वर्षो की गुलामी और फिर 75 वर्षों की आजादी में 22 जनवरी को पहला अवसर रहा जब देश में सनातन धर्म के मजबूत होने का एहसास हुआ। महत्वपूर्ण बात यह है कि अयोध्या में लोकतांत्रिक व्यवस्था के तहत ही मंदिर निर्माण हुआ है। देश में सनातन धर्म मजबूत रहे इसके लिए लोकतांत्रिक व्यवस्था में मोदी और योगी जैसे नेताओं की पार्टी का चुनाव जीतना जरूरी है। यदि चुनाव में राहुल गांधी, अखिलेश यादव, ममता बनर्जी, एमके स्टालिन, लालू प्रसाद यादव, अरविंद केजरीवाल जैसे नेताओं की पार्टी की जीत होती है तो फिर सनातन धर्म की स्थिति का अंदाजा लगाया जा सकता है। सवाल उठता है कि क्या कांग्रेस और समाजवादी पार्टी अयोध्या में राम मंदिर बनवा सकती थी? देश के लोगों को खासकर युवाओं को लोकतांत्रिक व्यवस्था में देश के हालातों को समझना होगा। 28 जनवरी को बिहार में जिस प्रकार सत्ता परिवर्तन हो रहा है उस को लेकर भाजपा और नीतीश कुमार की आलोचना हो रही है। न्यूज चैनलों पर नीतीश कुमार का दो वर्ष पुराना वह बयान प्रसारित हो रहा है, जिसमें उन्होंने कहा, मैं मर जाऊंगा लेकिन भविष्य में कभी भी भाजपा के साथ नहीं जाऊंगा। इसी प्रकार भाजपा नेताओं के बयान भी प्रसारित हो रहे हैं, जिनमें कहा गया कि नीतीश कुमार के लिए भाजपा के दरवाजे हमेशा के लिए बंद हो गए हैं। असल में नीतीश कुमार पिछले 15 वर्षों में 8 बार दल बदल कर चुके हैं। बिहार का मुख्यमंत्री रहने के लिए नीतीश कुमार कभी भाजपा के साथ तो कभी लालू प्रसाद वाले राजद के साथ चले जाते हैं। 9वीं बार नीतीश कुमार एक बार फिर भाजपा के साथ आ गए हैं। इससे भाजपा की आलोचना होना स्वाभाविक है। भाजपा जब स्वयं को सिद्धांतवादी पार्टी कहती है तब नीतीश कुमार जैसे नेताओं के साथ हाथ क्यों मिलाया जा रहा है? इस सवाल के जवाब के लिए लोकतांत्रिक व्यवस्था में देश के हालातों को समझना चाहिए। अब जब लोकसभा चुनाव में मात्र तीन माह शेष है, तब बिहार जैसे राज्य का महत्व और बढ़ जाता है। बिहार में लोकसभा की चालीस सीटें हैं। 2019 में भाजपा ने नीतीश कुमार के नेतृत्व वाले जेडीयू के साथ मिलकर चुनाव लड़ा था और 40 में से 39 सीटों पर जीत हासिल की थी। इसमें अकेले भाजपा की 17 सीटें थी। जेडीयू को 16 और पासवान की पार्टी को 6 सीटें मिली थी। कांग्रेस को सिर्फ एक सीट मिली और लालू यादव की आरजेडी व वामपंथी दलों का सफाया हो गया। अब यदि नीतीश कुमार की पार्टी लालू के साथ मिलकर चुनाव लड़ती तो बिहार में लोकसभा चुनाव के परिणामों का अंदाजा लगाया जा सकता है। इसीलिए लोकतांत्रिक व्यवस्था में 28 जनवरी को लालू यादव और नीतीश कुमार को अलग करवाया गया और एक बार फिर से बिहार में 2019 के हालात बनाने की शुरुआत की गई। इसमें कोई दो राय नहीं कि लोकसभा चुनाव के मद्देनजर लालू और नीतीश को अलग अलग करवाने में भाजपा की भूमिका रही है। देश में सनातन धर्म की रक्षा होती रहे, इसके लिए मोदी और भाजपा का मजबूत होना जरूरी है। कांग्रेस जब केरल में मुस्लिम लीग और तमिलनाडु में डीएमके के साथ गठबंधन कर सकती है तो फिर भाजपा बिहार में नीतीश कुमार के साथ क्यों नहीं? सब जानते हैं कि मुस्लिम लीग की स्थापना देश के विभाजन के समय हुई थी। मुस्लिम लीग ने ही अलग मुस्लिम राष्ट्र बनाने की मांग की थी, जिसे अंग्रेजों ने पूरा भी किया। मुस्लिम लीग के विचारों का समर्थन करने वाले दलों से ही अब कांग्रेस गठबंधन कर रही है। डीएमके के मंत्री उदयनिधि स्टालिन का बयान आज भी सनातनियों के कानों में गूंज रहा है। उदयनिधि का कहना है कि सनातन धर्म कोरोना और डेंगू रोग की तरह है जिसे समाप्त कर दिया जाना चाहिए। देश को तोड़ने वाली और सनातन धर्म को समाप्त करने की मंशा रखने वाली ताकतों को हराने के लिए यदि बिहार में नीतीश कुमार जैसे नेताओं से गठबंधन किया जाता है तो भाजपा के इस कदम पर ऐतराज नहीं होना चाहिए। देशवासियों की पीएम मोदी के सनातन धर्म के प्रति लगाव को भी देखना चाहिए। अयोध्या में प्राण प्रतिष्ठा समारोह में शामिल होने से पहले 11 दिनों तक कठोर तप किया गया। मोदी ने अपने धर्म के नियमों की पालना करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। सनातन धर्म की रक्षा होती रहे, इसलिए बिहार में नीतीश कुमार से गठबंधन किया गया है। इससे देश की एकता और अखंडता भी बनी रहेगी।
S.P.MITTAL