Rajasthan: विधानसभा के पहले ही दिन अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने छाप छोड़ी।
Rajasthan: विधानसभा के पहले ही दिन अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने छाप छोड़ी।

Rajasthan: विधानसभा के पहले ही दिन अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने छाप छोड़ी।

विधानसभा के पहले ही दिन अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने छाप छोड़ी।
जोशी के अध्यक्ष रहते पत्रकारों को परेशानी लेकिन अब परिसर में ही कैनोपी लगाकर स्थान सुरक्षित किया।
हनुमान बेनीवाल को अपने विरोध प्रदर्शन पर विचार करना चाहिए।
अशोक गहलोत और सचिन पायलट एक साथ बैठेंगे।
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19 जनवरी को मुझे राजस्थान विधानसभा की कार्यवाही देखने का अवसर मिला। विधानसभा की पत्रकार दीर्घा में प्रदेश के वरिष्ठ पत्रकारों से मुलाकात भी हुई। विधानसभा भवन के अंदर बने पत्रकार कक्ष में भी पत्रकारों का मानना रहा कि वासुदेव देवनानी के अध्यक्ष बनने से पत्रकारों को अनेक सुविधाएं मिली है। गत कांग्रेस शासन में विधानसभा अध्यक्ष रहे सीपी जोशी ने पत्रकारों के लिए अनेक पाबंदियां लगाई थी। सीएमओ की सहमति के बाद भी पत्रकारों के लिए प्रवेश पत्र नहीं बन सके। यहां तक कि पत्रकारों और कैमरामैन को विधानसभा के मुख्य द्वार के बाहर खड़े होकर ही कवरेज करना पड़ रहा था, लेकिन देवनानी ने अध्यक्ष बनने के बाद पत्रकारों की समस्याओं को समझा। अब पत्रकारों को मुख्य द्वार पर खड़े नहीं होना पड़ता। विधानसभा परिसर के अंदर बगीचे में कैनोपी लगाकर स्थान सुरक्षित किया गया है। यहां सभी चैनलों के कैमरामैन मौजूद रहते हैं। यही पर मंत्रियों, विधायकों आदि से संवाद किया जाता है। विधानसभा के अंदर पत्रकार दीर्घा में बैठने के लिए भी प्रवेश पत्र की प्रक्रिया को सरल बनाया गया है। इससे जनसंपर्क निदेशालय के उपनिदेशक डॉ. लोकेश शर्मा की भी सकारात्मक भूमिका है। विधानसभा अध्यक्ष और पत्रकारों के बीच डॉ. शर्मा ने जो तालमेल बैठाया है उसकी प्रशंसा सभी पत्रकार कर रहे हैं। प्रतिस्पर्धा के इस दौर में अखबारों और न्यूज चैनलों में काम करने वाले मीडिया कर्मियों के सामने अनेक चुनौतियां हो गई है। अब प्रमुख दैनिक समाचार पत्र भी अपनी वेबसाइट और एप संचालित कर रहे हैं, जिस पर न्यूज चैनलों की तरह खबरें और फोटो पोस्ट करने होते हैं। विधानसभा की कार्यवाही को कवरेज करने वाले पत्रकारों का मानना रहा कि हमारी चुनौतियों को देखते हुए अध्यक्ष देवनानी ने अनेक सहूलियत प्रदान की है। वहीं देवनानी का कहना रहा कि मीडिया कर्मी लोकतंत्र के प्रहरी है। विधानसभा की कार्यवाही अधिक से अधिक लोग देख सके, इसलिए मीडिया कर्मियों को सहूलियतें दी गई है। मंत्री विधायक ही नहीं कोई भी पत्रकार उनके कक्ष में आकर समस्या बता सकता है।
पहले दिन ही छाप:
हालांकि विधानसभा में विधायकों का शपथ ग्रहण आदि काम हुए है, लेकिन नवगठित विधानसभा में 19 जनवरी को पहला अवसर रहा, जब राज्यपाल का अभिभाषण और अन्य विधायी कार्य हुए। राज्यपाल के अभिभाषण के समय विधानसभा अध्यक्ष की कुर्सी भी राज्यपाल के बराबर लगती है। इसी परंपरा के तहत अभिभाषण के समय देवनानी राज्यपाल के समक्ष बैठे। राज्यपाल के अभिभाषण के समय जब आरएलपी के विधायक हनुमान बेनीवाल ने नारेबाजी की तो देवनानी ने संयम बरता। अभिभाषण के बाद राज्यपाल द्वारा लौटाए गए दो यूनिवर्सिटी के विधेयकों पर राज्यपाल की रिपोर्ट को देवनानी ने बिना रुके और अटके पढ़ा। कई पृष्ठों वाली यह रिपोर्ट देवनानी ने सरलता और पूरे आत्मविश्वास के साथ पढ़ी। ऐसा नहीं लगा कि वे पहली बार अध्यक्ष की कुर्सी पर बैठकर काम कर रहे हैं। देवनानी ने मत विभाजन की प्रक्रिया को भी पूरे आत्मविश्वास के साथ करवाया। कहा जा सकता है कि देवनानी ने सत्र के पहले दिन ही अपनी प्रभावी छाप छोड़ी है।
बेनीवाल विचार करें:
इसमें कोई दो राय नहीं कि हाल ही के विधानसभा चुनाव में हनुमान बेनीवाल के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी ने भाजपा और कांग्रेस के बाद सबसे ज्यादा वोट हासिल किए हैं, लेकिन यह भी सही है कि बेनीवाल की पार्टी का एक उम्मीदवार विजयी हुआ है, वह भी स्वयं बेनीवाल है। बेनीवाल ने 19 जनवरी को विधानसभा में राज्यपाल के अभिभाषण के समय जो हंगामा किया, उसका समर्थन कांग्रेस सहित किसी भी विपक्षी दल के विधायक ने नहीं किया। बेनीवाल अकेले ही वेल में आकर चिल्लाते रहे। यह बात अलग है कि बेनीवाल के चिल्लाने पर भी राज्यपाल कलराज मिश्र ने अपना संबोधन जारी रखा। बेनीवाल चिल्लाते चिल्लाते जब थक गए तो विधानसभा के सचिव के बैठने के लिए बनाए गए छोटे मंच पर ही एक किनारे पर बैठ गए। पूरे अभिभाषण में बेनीवाल एक किनारे पर ही बेठे रहे। इससे स्वयं बेनीवाल को अपनी स्थिति का अंदाजा लगा लेना चाहिए। बेनीवाल ने जो मुद्दा उठाया वह वाजिब था। बेनीवाल का कहना रहा कि प्रदेश के युवाओं को सरकारी नौकरी देने वाले राजस्थान लोक सेवा आयोग को भंग किया जाए, क्योंकि मौजूदा समय में आयोग में कांग्रेस सरकार द्वारा नियुक्त अध्यक्ष और सदस्य काम कर रहे हैं। बेनीवाल की यह मांग सही है, लेकिन अच्छा हो कि बेनीवाल अपनी मांग को विधानसभा में नियमों के तहत उठाए। राज्यपाल के अभिभाषण पर बहस में बेनीवाल को भी बोलने का अवसर मिलेगा। बेनीवाल को अपनी यह मांग तब प्रभावी तरीके से रखनी चाहिए।
गहलोत और पायलट साथ बैठेंगे:
अध्यक्ष देवनानी ने विधानसभा में विधायकों के बैठने की जो व्यवस्था की उसके अनुरूप पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सचिन पायलट पहली पंक्ति में एक साथ बैठेंगे। देवनानी ने दोनों नेताओं की वरिष्ठता का ख्याल रखते हुए ऐसी व्यवस्था की है। 19 जनवरी को सचिन पायलट पहली पंक्ति में बैठे नजर आए।
Report By S.P.MITTAL